लखनऊ:यूपी बीजेपी में संगठन और सरकार में टकराव से चिट्ठी की सियासत पैदा हुई है. यह सरकार और संगठन के बीच की लड़ाई है. इसमें माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और संगठन के कर्ता-धर्ता सुनील बंसल के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. ऐसे में मंत्रियों की अफसरों के खिलाफ लिखी जा रही चिट्ठियां इस बात का स्पष्ट संकेत है कि संगठन सरकार को दबाव में लेने की कोशिश कर रहा है, जिसे लेकर अंतिम फैसला दिल्ली दरबार में होना है.
यूपी बीजेपी और सरकार के बीच तल्खी की खबरें पुरानी है. योगी पार्ट-1 की सरकार में भी इस तरह की बातें सामने आती रही हैं कि विधायकों और मंत्रियों की अफसर सुनते नहीं. संगठन का प्रभाव सरकार पर नहीं चल रहा है. इसकी वजह से कार्यकर्ताओं से लेकर वरिष्ठ नेताओं के बीच में गुस्से की बात सामने आती रही. अब जबकि जल शक्ति राज्य मंत्री दिनेश खटीक से लेकर अनेक मंत्रियों की चिट्ठियां अफसरों के खिलाफ और सरकार के रवैया के खिलाफ चल रही हैं. ऐसे में यह बात और मुखर होकर सामने आ रही है कि संगठन और योगी सरकार के बीच टकराव चरम पर है.
सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ईमानदार छवि के साथ सख्ती से उत्तर प्रदेश की बेहतर छवि बनाने की कोशिशों में लगे हुए हैं. जिसकी वजह से उनको मंत्रियों और नेताओं की ठेका पट्टी नीति के खिलाफ अंकुश लगाना पड़ रहा है. मुख्यमंत्री के बताए हुए रास्ते पर चलने वाले अनेक अफसर वफादारी के साथ इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं. इसकी वजह से मंत्रियों और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के साथ अफसरों की तल्खी बढ़ रही है और साथ ही बढ़ रहा है सरकार और संगठन के बीच टकराव.
मंत्री दिनेश खटीक ने खुद अपने पत्र में आरोप लगाया है कि अफसर उनकी नाफरमानी करते हैं. अंदर खाने की खबर तो यह भी है कि जल शक्ति विभाग के एक आला अफसर ने दिनेश खटीक के एक फोन को बीच में ही काट दिया था. आरोप तो यहां तक है कि उन्होंने दिनेश खटीक से कहा था कि जो बन पड़े वह कर लें. इससे खटीक की नाराजगी और बढ़ गई. उन्होंने इस बात की शिकायत संगठन के स्तर पर की. संगठन में शिकायत होने के बाद दबाव की राजनीति के तहत चिट्ठी का सिलसिला शुरू हुआ. जो खटीक ही नहीं संगठन से जुड़े अन्य मंत्रियों ने भी उसी नक्शे कदम पर चलना स्वीकार किया.
स्वतंत्र देव सिंह भी अब सरकार के खेमे में
वैसे तो जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह संगठन का अहम हिस्सा है और भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं. मगर मंत्री बनने के बाद निकट भविष्य में उनको प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटना है. इसलिए वह खुद को सरकार के खेमे में अधिक दिखा रहे हैं. ऐसे में उनकी भी संगठन से दूरी बढ़ती जा रही है और न केवल सरकार बल्कि स्वतंत्र देव सिंह भी अब संगठन की आंख के तारे नहीं रहे हैं.
बहुत जल्द होगा प्रकरण का पटाक्षेप
भारतीय जनता पार्टी के सूत्रों का कहना है कि सरकार और संगठन के बीच चल रहे इस प्रकरण का पटाक्षेप बहुत जल्द होगा. केंद्रीय नेतृत्व को लेकर बहुत गंभीर है. जिसमें प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति के साथ ही बहुत कुछ यह संदेश चला जाएगा कि उत्तर प्रदेश में केंद्रीय नेतृत्व किस को आगे देखना चाहता है. प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति के साथ ही यह भी तय हो जाएगा कि सरकार आने वाले करीब पौने 5 साल में किस तरह से काम करेगी.
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