लखनऊ: छात्रवृति घोटाले को लेकर राजधानी के हजरतगंज में दर्ज एफआईआर की विवेचना अब एसआईटी करेगी. इसके लिए राजधानी के ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर उपेंद्र अग्रवाल ने क्राइम ब्रांच के तीन निरक्षकों की एसआईटी गठित कर दी है. बीते दिनों हजरतगंज थाने में फर्जी दस्तावेज के आधार पर करीब 75 करोड़ से भी अधिक छात्रवृत्ति गटकने वाले 18 नामजद और कई अज्ञात के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी. ईडी की छापेमारी में सामने आया था कि संस्थानों ने अपने कर्मचारियों व काल्पनिक व्यक्तियों के नाम से बैंक एजेंट की मिलीभगत से फर्जी खाते खोले और डेबिट कार्ड अपने पास रख लिए.
दरअसल, वर्ष 2015 से राज्य व केंद्र सरकार की ओर से दी जाने वाली 75 करोड़ से अधिक की पोस्ट मैट्रीकुलेशन छात्रवृत्ति को कई नर्सिंग और इंटर कॉलेज के मैनेजमेंट ने हड़प ली थी. ईडी ने हाल ही में इन कॉलेजों में छापेमारी कर कई अहम दस्तावेज भी बरामद किए थे. इसमें सामने आया था कि छात्रवृति के लिए बैंक में खोले गए अकाउंट में जैसे मेल आईडी और मोबाइल नंबर एक ही दिए गए थे. इसके अलावा बैंक के एकाउंट कुछ नाबालिग और बुजुर्गों के नाम भी थे, जिनसे कई लोगों को पैसे ट्रांसफर किए गए थे. इसके बाद दस संस्थानों, फिनो बैंक के अधिकारी समेत 18 लोग नामजद व अन्य अज्ञात के खिलाफ हजरतगंज थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी. इसकी विवेचना सब इंस्पेक्टर प्रमोद पांडे कर रहे थे. उन्होंने समाज कल्याण से नामजद सभी दस संस्थानों से अब तक दी गई छात्रवृत्ति का ब्योरा तलब किया था. इसके अलावा छात्रवृति गबन करने के लिए खोले गए 3000 बैंक अकाउंट का भी ब्योरा सब इंस्पेक्टर ने बैंक से मांगा था.