लखनऊ:उत्तर प्रदेश में सहकारिता बैंक में हुए भर्ती घोटाले की जांच कर रही एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी है. दोषी अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति प्राप्त कर ली है. वहीं इस मामले में एसआईटी अब जल्द आरोपियों की गिरफ्तारी कर सकती है. सहकारिता बैंक में सहायक प्रबंधकों की भर्ती घोटाले में प्रबंध निदेशक हीरालाल यादव ,रविकांत सिंह और यूपी सहकारिता संस्थागत सेवा मंडल के अध्यक्ष राम जतन यादव, राकेश कुमार मिश्र ,संतोष कुमार श्रीवास्तव के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई थी. नामजद आरोपियों के अलावा प्रबंध समिति के अधिकारी व कर्मचारी भी इस मामले में शामिल हैं.
एसआईटी को मुकदमा चलाने की अनुमति
सहकारिता बैंक में सहायक प्रबंधकों की भर्ती में भारी पैमाने पर अनियमितता बरती गई थी. वहीं इस मामले में जांच कर रही एसआईटी को अब शासन से मुकदमा चलाने की अनुमति मिल चुकी है. वहीं इस मामले में एसआईटी अब आरोपियों की गिरफ्तारी जल्द कर सकती है. वहीं इस सहकारिता भर्ती घोटाले में उत्तर प्रदेश को-ऑपरेटिव बैंक के तत्कालीन प्रबंध निदेशक हीरालाल यादव ,रविकांत सिंह और सहकारिता संस्थागत सेवा मंडल के तत्कालीन अध्यक्ष राम जतन यादव, सचिव राकेश कुमार मिश्रा, संतोष कुमार श्रीवास्तव के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई है.
क्या था सहकारिता भर्ती घोटाला
लखनऊ: सहकारिता भर्ती घोटाले में SIT को मुकदमा चलाने की मिली अनुमति - सहकारिता विभाग में भर्ती घोटाला
उत्तर प्रदेश के सहकारिता बैंक में हुए भर्ती घोटाले में एसआईटी को शासन से दोषियों पर मुकदमा चलाने की अनुमति मिल गई है. इस घोटाले में नामजद आरोपियों के अलावा प्रबंध समिति के अधिकारी और कर्मचारी भी शामिल हैं.
साल 2012 से 31 मार्च 2017 के मध्य सहकारिता विभाग और अधीनस्थ संस्थाओं में भर्ती में भारी अनियमितता बरती गई थी. वहीं जांच में पाया गया कि 2324 पदों पर भर्ती की गई .लेकिन भर्ती में चार प्रकार के पदों पर हुई भर्ती प्रक्रिया में अनियमितता का बोलबाला रहा. वहीं इस पूरे मामले में प्रदेश सरकार ने जांच एसआईटी को सौंपी है. वहीं जांच में अब भारी पैमाने पर अनियमितता को देखते हुए मुकदमा चलाने की अनुमति शासन से प्राप्त हो चुकी है, जिसके आधार पर अब जल्द ही दोषियों की गिरफ्तारी हो सकती है.