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Tajiya Procession In Lucknow: गमगीन माहौल में निकाला गया ताजिये का जुलूस

लखनऊ में कर्बला के शहीदों की याद में दो महीने आठ दिन से मजलिस-ओ-मातम व जुलूसों का सिलसिला ताजिये का जुलूस निकालने के साथ समाप्त हो गया. वहीं, इस दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे.

गमगीन माहौल में निकाला चुप ताजिये का जुलूस
गमगीन माहौल में निकाला चुप ताजिये का जुलूस

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 24, 2023, 8:52 PM IST

गमगीन माहौल में निकाला चुप ताजिये का जुलूस

लखनऊ: ताजियेखानों से अब होते हैं रुखसत इमाम, आखरी मातम है आज होते हैं रुखसत इमाम... इन सदाओं के बीच कर्बला के शहीदों की याद में दो महीने आठ दिन से मजलिस-ओ-मातम व जुलूसों का सिलसिला चल रहा है. यह रविवार को चुप ताजिये के जुलूस के निकलने के साथ समाप्त हो गया. जुलूस पुराने शहर के विक्टोरिया स्ट्रीट स्थित इमामबाड़ा नाजिम साहब से बड़ी अकीदत और आंसुओं के साथ रौजा-ए-काजमैन ले जाया गया. इस बीच सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे.

जुलूस में लखनऊ सहित विभिन्न शहरों से आए हजारों अजादारों जिसमें पुरुषों के साथ पर्दानशीन महिलाएं और बच्चों ने हजरत इमाम हुसैन (अ.स.) और उनके साथियों को अपने आंसुओं का नजराना पेश किया. आंसुओं के साथ जुलूस अकबरी गेट, नक्खास, बिल्लौचपुरा से दाहिने मुड़कर गिरधारी सिंह इंटर कॉलेज व मंसूर नगर होते हुए रौजा-ए-काजमैन पहुंचा. जुलूस में रास्ते भर बुजुर्ग व बच्चे नकाबत पढ़ते चल रहे थे. जुलूस में सबसे आगे हाथी पर अलम लिए अजादार, जुलजनाह, हजरत अली असगर (अ.स.) का झूला, हजरत अब्बास (अ.स.) के अलम और दो ताजिये शामिल थे.

जुलूस में सबसे पीछे ऊंटों पर सजी अमारियां थी. जुलूस निकलने से पूर्व मजलिस को मौलाना यासूब अब्बास ने खिताब किया. मजलिस के बाद इमामबाड़े से जैसे ही ताजिये बाहर निकले तो हजारों हाथ ताजियों को चूमने लगे. रास्ते भर अकीदतमंद ताजियों, अलम, ताबूत, झूले पर फूलों की चादरें व हार डाल रहे थे. ताजिये के रौजा-ए-काजमैन पहुंचते ही या हुसैन..या हुसैन की सदाएं बुलन्द होने लगी. जुलूस को अजादार रौजा-ए-काजमैन के अंदर ले गए और कत्लेगाह में दोनों ताजियों को बड़ी अकीदत के साथ दफ्न किया गया. इस मौके पर जगह-जगह चाय-काफी व लंगर आदि के इंतजाम किए गए थे.

दो महीने आठ दिन तक चला कर्बला के शहीदों के गम का सिलसिला रविवार को समाप्त हो गया. शिया समुदाय सोमवार को नौ रबीउल अव्वल के मौके पर 'ईद-ए-जहरा' का पर्व मनाएगा. इस खुशी के मौके पर शिया समुदाय एक-दूसरे को ईद-ए-जहरा की मुबारक देंगे. मोहर्रम का चांद दिखते ही जहां शिया समुदाय के लोग काले लिबास पहनते हैं और कोई खुशी न तो मनाते हैं और न ही किसी खुशी में शरीक होते हैं. दो महीने आठ दिन तक गम मनाने के बाद नौ रबीउल अव्वल 'ईद-ए-जहरा' के मौके पर लोग खुश रंग लिबास पहनते हैं, इत्र लगाते हैं घरों में महफिलों का आयोजन करके जश्न मनाते हैं. इस मौके पर घरों में तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं. महिलाएं समान्य दिनों की तरह आभूषण पहन लेती हैं और श्रृंगार करके इस पर्व की खुशी मनाती हैं.

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