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उत्तराखंड में नए राज्यपाल की शपथ, पूर्व राज्यपाल बेबी रानी मौर्य के भविष्य पर भाजपा में चुप्पी

उत्तराखंड की पूर्व राज्यपाल बेबी रानी मौर्य का भाजपा में भविष्य क्या होगा इस मुद्दे पर शांति है. उत्तराखंड में बुधवार को नए राज्यपाल ने शपथ ली है. मगर बेबी रानी मौर्य क्या करेंगी भाजपा ने अब तक नहीं तय किया है. सियासी पंडितों का मानना है कि बेबी रानी मौर्य को आगरा या आसपास की किसी सीट से चुनाव लड़ाया जा सकता है या फिर संगठन में अहम जिम्मेदारी दी जा सकती हैं.

उत्तराखंड में नए राज्यपाल की शपथ
उत्तराखंड में नए राज्यपाल की शपथ

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Published : Sep 16, 2021, 12:20 PM IST

लखनऊ: उत्तराखंड की पूर्व राज्यपाल बेबी रानी मौर्य का भाजपा में भविष्य क्या होगा इस मुद्दे पर शांति है. उत्तराखंड में बुधवार को नए राज्यपाल ने शपथ ली है. मगर बेबी रानी मौर्य क्या करेंगी भाजपा ने अब तक नहीं तय किया है. मगर अधिकांश सियासी पंडितों का मानना है कि बेबी रानी मौर्य को आगरा या आसपास की किसी सीट से चुनाव लड़ाया जा सकता है. जबकि यह भी कहा जा रहा है कि वे संगठन में अहम जिम्मेदारी पा सकती हैं. दोनों ही मुद्दों पर भाजपा का असली दांव पिछड़ों पर लगाया जाएगा.

बेबी रानी मौर्य को जब राज्यपाल पद से हटाया गया, तब बड़े-बड़े सियासी सवाल हवा में तैरने लगे थे. कोई उनको बड़ा पद जैसे उप मुख्यमंत्री दिए जाने की बात कह रहा था. कोई कह रहा था कि उनको एमएलसी बनाया जाएगा. इस बीच बुधवार को उत्तराखंड में नये राज्यपाल ने पद की शपथ भी ले ली. जिसके बाद में एक बार फिर से बेबी रानी के भविष्य पर बातें की जाने लगी हैं. बेबी रानी मौर्य को पिछड़ों के बीच और जगह बनाने के लिए संगठन और सरकार में लाए जाने की संभावना है.

आगरा की महापौर और महिला मोर्चा की नेता थीं बेबी रानी मौर्य
संघ में अच्छी पकड़ रखने वाली बेबी रानी मौर्य राज्यपाल बनने से पहले आगरा की महापौर थीं और उनकी आगरा के लोगों के बीच अच्छी पैठ थी. इसके अलावा भारतीय जनता महिला मोर्चा में भी वे लंबे समय तक अलग अलग पदों पर बनी रहीं.

पिछड़े वर्ग और महिलाओं के बीच पैठ बनाने के लिए चेहरा
भाजपा के जानकारों ने बताया कि सबसे बड़ी संभावना यही है कि पिछड़े वर्ग के मतदाताओं के बीच संदेश देने के लिए बेबी रानी मौर्य को विधायक पद पर लड़ाया जाएगा. सरकार बनने के हालात में उनको मंत्री पद भी दिया जा सकता है. इससे पहले संगठन में भी जगह दी जा सकती है. इसी वजह से मौर्य से राज्यपाल पद वापस लिया गया है और उनको बहुत जल्द ही भाजपा की सदस्यता दिलाई जाएगी.

पिछड़े वर्ग के बीच बढ़ेगी भाजपा की पैठ, 50 फीसदी पर दावेदारी
उत्तर प्रदेश में वोटरों की संख्या की बात करें तो मुलसमान, दलित, सवर्ण के वोट और पिछड़ों के वोट एक तरफ हैं. जिसकी कुल तादाद लगभग 50 फीसदी है. बेबी रानी मौर्य के भाजपा में फ्रंट में आने से इस वर्ग को रिझाने में काफी मदद मिलेगी. केशव प्रसाद मौर्य के होने के साथ भाजपा की ताकत दोगुनी होगी. यही नहीं महिलाओं के बीच भी बेबी रानी मौर्य को रोल मॉडल के तौर पर प्रस्तुत किया जा सकता है.

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मेरी पार्टी जब तय करेगी जिम्मेदारी तब करूंगी बात
ईटीवी भारत से फोन पर हुई बातचीत में बेबी रानी मौर्य ने बताया कि वे अभी आगरा जा रही हैं. पार्टी ने अभी उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं तय की है. जब मुझे पता होगा मुझे क्या करना है, तब बात करूंगी.

पहले भाजपा की सदस्यता लेंगी फिर नेतृत्व तय करेगा जिम्मेदारी: भाजपा
भाजपा के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा कि अब तक वे राज्यपाल के संवेधानिक पद पर थीं, इस दौरान वे किसी पार्टी की सदस्य नहीं हो सकती थीं. पहले वे भाजपा की सदस्यता लें. उसके बाद में नेतृत्व उनकी जिम्मेदारी तय करेगा.

2018 में बनाई गई थीं राज्यपाल
बेबी रानी मौर्य को 26 अगस्त 2018 से उत्तराखण्ड की सातवीं राज्यपाल के तौर पर कार्यरत किया गया था. 1990 के दशक की शुरुआत में भारतीय जनता पार्टी की सदस्य के तौर पर सक्रिय राजनीति में प्रवेश करने वाली मौर्य 1995 से 2000 तक आगरा की महापौर, और फिर 2002 से 2005 तक राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य भी रह चुकी हैं.

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