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कोविशील्ड वैक्सीन से एंटीबॉडी न बनने का मामला, SII के CEO अदार पूनावाला अदालत में हुए पेश - covishield vaccine antobody dispute

लखनऊ में कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने के बावजूद एंटीबॉडी न बनने के कथित मामले में शुक्रवार को सुनवाई हुई. सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला अपने वकील के माध्यम से अदालत में पेश हुए. इस मामले में अगली सुनवाई 15 अप्रैल को होगी.

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SII के CEO अदार पूनावाला अदालत में हुए पेश

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Published : Apr 1, 2022, 9:07 PM IST

लखनऊ: जिला जज राम मनोहर नारायण मिश्रा ने कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने के बावजूद एंडीबॉडी नहीं बनने के मामले में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (Serum Institute Of India ) के सीईओ अदार पूनावाला समेत सात अन्य के खिलाफ दाखिल रिवीजन अर्जी पर सुनवाई के लिए 15 अप्रैल की तारीख तय की है. शुक्रवार को इस मामले में सीईओ अदार पूनावाला अपने वकील के माध्यम से अदालत में हाजिर हुए. उनके वकील ने इस मामले में जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा.

रिवीजनकर्ता प्रताप चन्द्रा ने इस अर्जी में निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी है. उन्होंने इस मामले में निचली अदालत में एक अर्जी दाखिल की थी. इस अर्जी में अदार पूनावाला के साथ ही केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण के महानिदेशक, विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि, आईसीएमआर के महानिदेशक, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, उत्तर प्रदेश के निदेशक और गोविंद हास्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, लखनऊ के निदेशक को भी पक्षकार बनाया था. इनके खिलाफ इस मामले में मुकदमा दर्ज करने का आदेश देने की मांग की थी.

उनका कहना था कि उन्होंने 8 अप्रैल 2021 को गोविंद हास्पिटल में कोविशील्ड वैक्सीन का पहला डोज लगवायी थी. दूसरी डोज 28 दिन बाद लगनी थी, लेकिन इस दौरान सरकार ने घोषणा की थी कि अब दूसरी डोज 12 हफ्ते बाद लगेगी. वैक्सीन लगवाने के बाद उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं था. 25 मई 2021 को उन्होंने एंटीबॉडी टेस्ट कराया, ताकि मालूम हो सके कि वैक्सीन लगवाने के बाद एंटीबॉडी बने या नहीं.

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जांच रिपोर्ट से पता चला कि एंटीबॉडी नहीं बने. बल्कि सामान्य प्लेटलेट्स भी आधे से कम हो गयीं. इसकी वजह से संक्रमण का खतरा बढ़ गया और किसी भी समय मौत हो सकती थी. यह सरासर धोखा है और हत्या के प्रयास का मामला है. 22 नवंबर 2021 को निचली अदालत ने उनकी यह अर्जी खारिज कर दी थी. उन्होंने इस आदेश को सत्र अदालत में चुनौती दी. 4 फरवरी को सत्र अदालत ने रिवीजन अर्जी पर सुनवाई के लिए सभी विपक्षीगणों को नोटिस जारी किया था.

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