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Medical News : वजन में अकारण हो रहा बदलाव तो हो जाएं सतर्क, तुरंत लें चिकित्सक से सलाह - महिलाओं में कैंसर

एसोसिएशन ऑफ गायनी आंकोलॉजिस्ट ऑफ इंडिया की वार्षिक कान्फ्रेंस में चिकित्सा विशेषज्ञों ने महिलाओं में बढ़ते कैंसर को लेकर जानकारी साझा की. चिकित्सों ने महिलाओं को बढ़ते मोटापा, वजन को लेकर काफी सतर्क रहने की सलाह दी.

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Published : Aug 8, 2023, 10:31 PM IST

लखनऊ :यदि अकारण शरीर का वजन बढ़ रहा है, मोटापा आ रहा है तो सतर्क हो जाना चाहिए. तुरंत चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए. क्योंकि शरीर के ऐसे संकेत कैंसर के भी हो सकते हैं. यह जानकारी डॉ. श्वेता गिरि ने दी. वह केजीएमयू कलाम सेंटर में एसोसिएशन ऑफ गायनी आंकोलॉजिस्ट ऑफ इंडिया की 10वीं वार्षिक कान्फ्रेंस को संबोधित कर रही थीं. उन्होंने कहा पिछले कुछ वर्षों से महिलाओं में बच्चेदानी या यूट्रेस का कैंसर तेजी से बढ़ा है. इसकी मुख्य वजह आरामतलबी दिनचर्या है. इसके साथ ही गलत खानपान की आदत इस बीमारी को और बढ़ा रही है.

एसोसिएशन ऑफ गायनी आंकोलॉजिस्ट ऑफ इंडिया की वार्षिक कान्फ्रेंस.



डॉ. श्वेता गिरि ने बताया कि अक्सर महिलाओं की आदत होती है कि वह अपनी सेहत पर ध्यान नहीं देती. व्यस्तता का हवाला देकर वह व्यायाम नहीं करती हैं. इसके साथ ही खान-पान पर ध्यान नहीं दे पातीं. इन सबसे कारणों से वह कैंसर जैसी बीमारी की चपेट में आ जाती हैं. यदि कैंसर के शुरूआती लक्षणों पर ध्यान दिया जाए तो इसे रोका जा सकता है. बच्चेदानी के कैंसर में महिलाओं को गंदे पानी का रिसाव होता है. माहवारी अनियमित हो जाती है. कमर या पैर में अधिक दर्द महसूस होता है. पेशाब में रुकावट बीमारी की शुरूआती लक्षण में से एक है. डॉ. श्वेता के अनुसार महिलाओं में आरामतलबी की आदत बढ़ गई है. जिस कारण वह जल्द ही मोटापे की चपेट में आ जाती हैं. जीवनशैली सुधार कर बीमारी के खतरों को काफी हद तक कम किया जा सकता है.

इस मौके पर डॉ. सरोज सिंह का कहना है कि महिलाओं में ओवरी का कैंसर आम बात है. समय पर बीमारी की पहचान से पुख्ता इलाज मुमकिन है. यदि ऑपरेशन के दौरान संक्रमित हिस्से के साथ फैलोपियन ट्यूब को निकाल दिया जाए तो दोबारा बीमारी का खतरा कम हो जाता है. क्योंकि ओवरी कैंसर की शुरुआत फैलोपियन ट्यूब के सिरे से होती है. इसमें महिला को पेट में भारीपन, सूजन जैसे लक्षण नजर आते हैं. जयपुर की डॉ. रानू पटनी ने कहा कि सर्वाइकल कैंसर की वैक्सीन तय समय पर लगवानी चाहिए. इस मौके पर डॉ. निशा सिंह, डॉ. सुजाता देव, डॉ. रेखा सचान, डॉ. रेनू समेत अन्य चिकित्सकों ने भी कैंसर और गांठ को लेकर जानकारी साझा की.

न्यूरो एनेस्थीसिया और पेन मेडिसिन कोर्स शुरू होंगे

डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान लखनऊ में जल्द ही न्यूरो एनेस्थीसिया व पेन मेडिसिन कोर्स शुरू होंगे. इसके अलावा सिर के गंभीर मरीजों के लिए न्यूरो क्रिटिकल केयर यूनिट भी शुरू की जाएगी. यह जानकारी लोहिया संस्थान के एनेस्थीसियोलॉजी, क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग की ओर से न्यूरो क्रिटिकल केयर पर आयोजित कार्यशाला में दी गई. डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान की निदेशक डॉ. सोनिया नित्यानंद ने बताया कि एनेस्थीसियोलॉजी एवं क्रिटिकल केयर विभाग में जल्द ही नए कोर्स शुरू किए जाएंगे. इसमें डीएम न्यूरो एनेस्थीसिया एवं डीएम पेन मेडिसिन की शुरुआत की जाएगी. एनस्थीसिया विभाग के डॉ. पीके दास ने कहा कि न्यूरो क्रिटिकल केयर यूनिट की सख्त जरूरत है. यूनिट बनने से गंभीर मरीजों की जिंदगी बचाने में मदद मिलेगी.

डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में न्यूरो क्रिटिकल केयर पर आयोजित कार्यशाला.

कार्यक्रम में मौजूद सैफई यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज के पूर्व कुलपति ब्रिगेडियर डॉ. टी प्रभाकर ने कहा कि सड़क हादसे बढ़ गए हैं. सबसे ज्यादा सिर में चोट लगे मरीज आते हैं. ऐसे मरीजों को खास तरह के इलाज की जरूरत है. गुरूग्राम की डॉ. वसुधा सिंघल ने बताया कि सीटी स्कैन व एमआरआई जांच से सिर की गंभीर चोट का पता लगाया जा सकता है. लिहाजा सबसे पहले प्राथमिक इलाज के बाद जांच करानी चाहिए. इससे गंभीर मरीजों की जान बचाना आसान हो सकता है. चंड़ीगढ़ पीजीआई के डॉ. अंकुर लूथरा ने दिमाग के पानी का प्रेशर, खून व दिमाग में ऑक्सीजन की मात्रा के बारे में जानकारी दी. कार्यक्रम में डॉ. मनोज कुमार गिरि, डॉ. शशि श्रीवास्तव, डॉ. सीके पाण्डेय, डॉ. शिवानी रस्तोगी, डॉ. वीरेन्द्र कुमार, डॉ. सुजीत राय, डॉ. शिल्पी मिश्रा, डॉ. मनोज त्रिपाठी, डॉ. एसएस नाथ, डॉ. सूरज कुमार, डॉ. समीक्षा पराशर मौजूद रहे.

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