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एक मुलाकात में ही प्रणब दा के व्यक्तित्व का हो गया था कायल: सिद्धार्थ प्रिय श्रीवास्तव - सिद्धार्थ प्रिय श्रीवास्तव

भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को आज भी लोग याद कर रहे हैं. वजह है उनका महान व्यक्तित्व. कांग्रेस के प्रभारी प्रशासन सिद्धार्थ प्रिय श्रीवास्तव ने भी प्रणब दा से जुड़ी कई यादों को ईटीवी भारत के साथ साझा किया.

सिद्धार्थ प्रिय श्रीवास्तव
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Published : Sep 1, 2020, 8:10 PM IST

लखनऊ: देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन लोग उन्हें अभी भी याद कर रहे हैं. खासकर वह लोग जिन्होंने लखनऊ में राष्ट्रपति के रूप में आए प्रणब दा से मुलाकात की थी और उनकी शालीनता के कायल हो गए थे. उनके निधन से उनसे मिलने वाले लोग काफी गमगीन हैं. लखनऊ में प्रणब दा से मिलने का सौभाग्य कांग्रेस के प्रशासन प्रभारी सिद्धार्थ प्रिय श्रीवास्तव को भी मिला था. उन्होंने 'ईटीवी भारत' से प्रणब मुखर्जी के साथ अपनी मुलाकात और उनसे जुड़ी यादों को साझा किया.

कांग्रेस के प्रभारी प्रशासन सिद्धार्थ प्रिय श्रीवास्तव बताते हैं कि प्रणब दा बहुत ही साधारण प्रवृति के व्यक्तित्व थे और कभी भी उनसे मिलने पर नहीं लगा कि हम राष्ट्रपति से मिल रहे हैं. मुझे स्मरण आ रहा है कि जब वह राष्ट्रपति के रूप में उत्तर प्रदेश के राजभवन में आए थे, तो सामाजिक और कला से जुड़े राजनीतिक लोग उनसे मिले और मिलकर अपनी बात रखी और उनको समय दिया. हम कांग्रेस के लोग जब उनसे मिलने गए थे तो सिर्फ 10 मिनट का समय दिया गया था, लेकिन हमसे 35 मिनट तक मिले और बात की. उस प्रोटोकॉल को भी उन्होंने नहीं माना.

सिद्धार्थ प्रिय श्रीवास्तव ने साझा की यादें.

एक वाकया ये भी है कि जब वह राष्ट्रपति होते हुए लखनऊ से विदा ले रहे थे. तब सरकार और एडमिनिस्ट्रेशन की तरफ से प्रोटोकॉल था कि कोई उन्हें सी-ऑफ करने एयरपोर्ट नहीं जाएगा. उन्होंने प्रोटोकॉल को दरकिनार करते हुए कहा कि इन सब लोगों को एयरपोर्ट तक जाने दीजिए, उन्हें छोड़ने दीजिए. एक-एक करके वह सभी से मिले और मिलकर फिर विदा हुए. यह व्यक्तित्व होता है एक साधारण व्यक्ति का जो इतने ऊंचे पद पर राष्ट्रपति होते हुए भी वो भी दुनिया में भारत का एक बड़ा स्थान है वहां का राष्ट्रपति होकर भी वह इतने साधारण और शालीनता के साथ सब से मिल रहा है. उनका गुणगान करने में मुझे कभी कोई संकोच नहीं रहा.

उन्होंने कहा कि आज प्रणब दा हमारे बीच नहीं हैं. उनकी तमाम स्मृतियां हम लोगों के बीच में हैं. कांग्रेस पार्टी के बड़े नेता थे और जब-जब देश पर संकट आया विशेषकर आर्थिक रूप से, तब आगे बढ़कर प्रणब दा ने गाइड किया. फाइनेंस मिनिस्टर थे तब भी कॉमर्स मिनिस्टर थे तब भी और डिफेंस मिनिस्टर थे तब भी उन्होंने भारत को मजबूत किया. देश को ऐसे पायदान पर ले जाने की कोशिश की जिससे भारत दुनिया में अपना स्थान बना सका.

सिद्धार्थ प्रिय श्रीवास्तव बताते हैं कि जब वे लखनऊ आए थे तब पूर्वांचल की समस्याओं को लेकर उनसे मिला था. कांग्रेस के लोगों ने मांग की थी कि गोरखपुर में एम्स दिया जाए, सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनाई जाए, गन्ना मिलें जो प्रभावित हैं, लोगों के बकाए हैं उनको व्यवस्थित कराया जाए. पूर्वांचल जो हमेशा आजादी के बाद से पिछड़ा रहा है वहां पर कभी तरक्की नहीं हो पाई. देश की तरक्की में यहां के लोग अपना योगदान दे सकें, इसकी डिमांड की थी. इसके बाद उन्होंने आश्वस्त किया था और दिल्ली जाकर भारत सरकार को लिखा भी था. खास बात यह है कि उसके जवाब भी हम लोग के पास हैं. बताया गया कि आगे की कार्रवाई हो रही है, मैं आज बहुत गमगीन हूं.

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