लखनऊ: प्रदेश के 134 सरकारी अस्पतालों को अपग्रेड करने के लिए एनआरएचएम फंड से जारी धनराशि में हुए करोड़ों के घोटाला मामले में मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत व्यक्तिगत रुप से हाजिर हुए अभियुक्त श्याम सुंदर जायसवाल को न तो आत्मसमर्पण करना पड़ा और न ही उसे जमानत लेनी पड़ी. उसे निजी मुचलका भी दाखिल नहीं करना पड़ा. जबकि ईडी ने उसे न्यायिक हिरासत में लेने की पूरजोर मांग की थी. ईडी के विशेष जज सुरेंद्र कुमार यादव ने ईडी की इस मांग वाली अर्जी पर सुनवाई के लिए 3 अक्टूबर की तारीख तय कर दी है.
विशेष अदालत ने व्यक्तिगत रुप से हाजिर नहीं होने पर अभियुक्त श्याम सुंदर जायसवाल व पंकज सिंह के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया था. 30 अगस्त को अभियुक्त श्याम सुंदर की ओर से जरिए वकील सीआरपीसी की धारा 245 (2) के तहत डिस्चार्ज अर्जी दाखिल की गई. तब अदालत ने अर्जी पर सुनवाई के लिए 18 सितंबर की तारीख तय कर दी. साथ ही अभियुक्त को व्यक्तिगत रुप से हाजिर होने का आदेश भी दिया.
18 सितंबर को अभियुक्त श्याम सुंदर जायसवाल अदालत में हाजिर हुआ. सुनवाई के दौरान उसकी डिस्चार्ज अर्जी के जवाब में ईडी की ओर से एक आपत्ति अर्जी दाखिल की गई. ईडी के वकील केपी सिंह का कहना था कि यह मामला विशेष सत्र अदालत द्वारा परीक्षणीय है.
लिहाजा सीआरपीसी की उक्त धारा के तहत अभियुक्त की यह अर्जी पोषणीय नहीं है. ईडी का विशेष कानून भी यही कहता है. उन्होंने इसके साथ ही अभियुक्त को न्यायिक हिरासत में लेने की भी मांग की.
विशेष अदालत ने अभियुक्त की डिस्चार्ज व ईडी की आपत्ति अर्जी पर सुनवाई के लिए 3 अक्टूबर की तारीख तय कर दी. लेकिन अभियुक्त को न तो न्यायिक हिरासत में लिया गया और न ही अभियुक्त की ओर से कोई जमानत अर्जी ही दाखिल की गई. अभियुक्त की ओर से कोई निजी मुचलका भी दाखिल नहीं किया गया. सिर्फ अदालती आदेश की प्रति पर हस्ताक्षर कर अभियुक्त अदालत से चला गया.