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उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों का टोटा, कैसे होगी पढ़ाई

उत्तर प्रदेश के उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों में कमी एक बड़ी समस्या है. लखनऊ विश्वविद्यालय और शकुंतला मिश्रा विश्वविद्यालय समेत अन्य विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के पद खाली हैं. महाविद्यालयों में भी शिक्षकों के हजारों पद रिक्त पड़े हैं. यह शिक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल है.

विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों
विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों

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Published : Feb 2, 2021, 8:44 AM IST

लखनऊः राज्य के माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों की कमी का मुद्दा अनेक बार मीडिया में उठा है, लेकिन चिंता की बात है कि विद्यालयों की तरह विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में भी शिक्षकों की कमी खल रही है. लखनऊ विश्वविद्यालय और शकुंतला मिश्रा विश्वविद्यालय समेत अन्य विश्वविद्यालयों में भी शिक्षकों के पद खाली हैं. महाविद्यालयों में भी करीब चार हजार शिक्षकों के पद रिक्त हैं. इससे अब सवाल उठता है कि सरकार कब तक इन पदों पर भर्ती करेगी.

विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में कम शिक्षक

विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के पद खाली
लखनऊ विश्वविद्यालय में शिक्षकों की कमी की बात की जाए तो यहां 180 शिक्षकों के पद खाली चल रहे हैं. इनमें प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और सहायक प्रोफेसर के पद शामिल हैं. सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु सिद्धार्थनगर में 24 शिक्षकों के पद खाली चल रहे हैं. प्रोफेसर के 16 पद रिक्त हैं. वहीं, एसोसिएट प्रोफेसर के सात पद खाली चल रहे हैं. जबकि सहायक प्रोफेसर का एक पद खाली है. इसी विश्वविद्यालय के अंतर्गत अंतरराष्ट्रीय बौद्ध अध्ययन केंद्र में कुल 21 पद खाली हैं. शकुंतला मिश्रा विश्वविद्यालय लखनऊ की बात करें तो यहां 202 पद रिक्त चल रहे हैं.

सरकार नियमों में बदलाव करे तो भर्ती की रुकावट होगी दूर
शिक्षक नेता डॉ. मौलेन्दु मिश्र कहते हैं कि उत्तर प्रदेश में महाविद्यालयों में करीब 12 हजार शिक्षकों के पद हैं. इनमें से करीब चार हजार पद खाली हैं. विश्वविद्यालयों में तो करीब 50 फीसदी शिक्षकों के पद खाली हैं. ज्यादातर विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की कमी है. डॉ. मिश्र ने बताया कि जब तक यूजीसी नियमन राज्य सरकार तुरंत प्रभावी नहीं करेगी और जब तक इसे लागू नहीं करेगी तब तक रिक्त पदों को भरने में व्यवधान आते रहेंगे. शिक्षकों के पद खाली होने की वजह से पठन-पाठन में असुविधा हो रही है. छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलने में दिक्कत होती है. सरकार को चाहिए कि विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के रिक्त पदों पर जल्दी भर्ती प्रक्रिया शुरू कराए.

ये हैं राज्य के विश्वविद्यालय
लखनऊ विश्वविद्यालय लखनऊ, डॉक्टर भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर, संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी, छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झांसी, डॉ राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय अयोध्या, महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड विश्वविद्यालय बरेली, वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर, डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय लखनऊ, ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती उर्दू अरबी फारसी विश्वविद्यालय लखनऊ, सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु सिद्धार्थनगर, इलाहाबाद राज्य विश्वविद्यालय प्रयागराज, जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय बलिया शामिल हैं.

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