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शिवपाल बोले, नेता जी के बाग को अब हम अपने खून पसीने से सींचेंगे

समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के मुखिया शिवपाल सिंह यादव के बीच पड़ी दरार धीरे-धीरे भर रही है. मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद दोनों नेता करीब आए हैं और अब एक साथ मिलकर आगे बढ़ने का संकल्प भी ले रहे हैं. गुरुवार को सपा मुखिया अखिलेश यादव चाचा शिवपाल सिंह यादव से मिलने पत्नी डिंपल यादव के साथ पहुंचे और इसके बाद शिवपाल ने अपने टि्वटर हैंडल से मुलाकात की फोटो भी शेयर कीं.

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Published : Nov 17, 2022, 8:27 PM IST

लखनऊ : समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के मुखिया शिवपाल सिंह यादव के बीच पड़ी दरार धीरे-धीरे भर रही है. मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद दोनों नेता करीब आए हैं और अब एक साथ मिलकर आगे बढ़ने का संकल्प भी ले रहे हैं. गुरुवार को सपा मुखिया अखिलेश यादव चाचा शिवपाल सिंह यादव से मिलने पत्नी डिंपल यादव के साथ पहुंचे और इसके बाद शिवपाल ने अपने टि्वटर हैंडल से मुलाकात की फोटो भी शेयर कीं. ट्विटर पर शिवपाल यादव ने एक शायरी भी लिखी "जिस बाग को सींचा था खुद नेता जी ने उस बाग को अब हम सींचेंगे अपने खून पसीने से."

मैनपुरी लोकसभा सीट मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद खाली हुई है और पांच दिसंबर को उपचुनाव होना है. अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव इस लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में हैं. चर्चाओं का बाजार गर्म था कि शिवपाल सिंह यादव इस सीट से चुनाव लड़ेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. फिर ऐसे कयास लगाए जाने लगे कि अब शिवपाल सिंह यादव समाजवादी पार्टी को नुकसान पहुंचाएंगे. शायद इसकी भनक सपा मुखिया को भी लग गई. यही वजह है कि वह पत्नी डिंपल यादव के साथ चाचा शिवपाल सिंह यादव से मिलने पहुंच गए. उन्होंने नेताजी की सीट पर डिंपल यादव को चुनाव जिताने के लिए चाचा से समर्थन भी मांगा.

समाजवादी पार्टी ने शिवपाल सिंह यादव को स्टार प्रचारक भी बनाया है. चाचा भतीजे की इस मुलाकात के बाद अब समाजवादी पार्टी इस सीट पर खुद को मजबूत मान रही है. बता दें, राजनीतिक गलियारों में यह भी चर्चा चल रही थी कि शिवपाल और अखिलेश में अगर इस बार बात नहीं बनी तो फिर यादव परिवार कभी एक नहीं हो पाएगा, क्योंकि अभी तक चाचा भतीजे की लड़ाई में मुलायम सिंह यादव ब्रिज का काम कराते थे. अब नेता जी का निधन हो चुका है. लिहाजा अब अगर दोनों नेता आपस में नहीं मिलते तो फिर अलग ही हो जाते, लेकिन सही समय पर अखिलेश यादव ने शिवपाल सिंह यादव को मना लिया है.

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