लखनऊ:उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा राज्य अध्यापक पुरस्कार के लिए 73 अध्यापकों के नाम का चयन किया है. इनमें उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिले के पूर्व माध्यमिक विद्यालय और प्राथमिक विद्यालय के साथ ही उच्च प्राथमिक विद्यालयों के अध्यापक शामिल हैं. इनमें राजधानी लखनऊ के राजाजीपुरम क्षेत्र में रहने वाली अध्यापिका शशि मिश्रा का भी चयन हुआ है, जिन्हें 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के अवसर पर राज्य अध्यापक पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. शशि मिश्रा सलेमपुर पतौरा गांव में स्थित इंग्लिश मीडियम प्राथमिक विद्यालय में प्रधानाचार्य पद पर कार्यरत हैं.
राज्य अध्यापक पुरस्कार के लिए लखनऊ से चयनित हुईं शशि मिश्रा, ईटीवी भारत से बोलीं ये बातें
शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले शिक्षक-शिक्षिकाओं को प्रदेश सरकार द्वारा 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के अवसर पर राज्य अध्यापक पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. इस पुरस्कार के लिए राजधानी लखनऊ के राजाजीपुरम क्षेत्र में रहने वाली अध्यापिका शशि मिश्रा का भी चयन किया गया है. ईटीवी भारत के संवाददाता ने उनसे खास बातचीत की.
ऐसे में ईटीवी भारत के संवादाता ने उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से राज्य अध्यापक पुरस्कार के लिए चयनित शशि मिश्रा से बात की. उन्होंने बताया कि उनका नाम उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पारदर्शी तरीके से राज्य अध्यापक पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है. शशि मिश्रा ने बताया कि बच्चों के शिक्षण के लिए सबसे पहले भय मुक्त वातावरण बनाना चाहिए. साथ ही टीचर और बच्चों के बीच किसी तरह की गैपिंग नहीं होनी चाहिए. टीचर को इनडायरेक्ट तरीके से रोल मॉडल बन कर बच्चों को समझाना चाहिए. बच्चों को बताया जाना चाहिए कि आपके अध्यापक जब समय से स्कूल पहुंचते हैं तो आपको भी स्कूल में समय से पहुंचना चाहिए और अपने कार्य को समय पर पूरा करना चाहिए.
पुरस्कार के पीछे परिवार की क्या भूमिका रही? इस सवाल पर उन्होंने कहा कि पति अनूप कुमार मिश्रा और बेटी अनुषी का घर के कामों में बहुत बड़ा सहयोग रहता है. राज्य अध्यापक पुरस्कार का श्रेय परिवार को जाता है. उन्होंने कहा कि अगर परिवार का सहयोग ना मिलता तो यह सब संभव नहीं हो पाता. उनके सहयोग के कारण ही वह समय पर स्कूल पहुंच पाती हैं और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दे पाती हैं. प्राथमिक शिक्षा और सरकार की नीतियों को लेकर उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा शिक्षा को लेकर तमाम नीतियां बनाई जा रही हैं, जिससे प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता में बहुत सुधार देखने को मिल रहा है.