लखनऊ: नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. यहां ब्रह्मा का मतलब तपस्या से है. शास्त्रों के मुताबिक ब्रह्मचारिणी का अर्थ तप की चारिणी यानी तप का आचरण के वाली बताया गया है. मां ब्रह्मचारिणी के एक हाथ में जप की माला है और बाएं हाथ में कमंडल है. शास्त्रों के अनुसार नारद जी के आदेशानुसार भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए देवी ने वर्षों तक तपस्या की. अंत में उनकी तपस्या सफल हुई. माता ब्रह्मचारिणी की कृपा से सिद्धी की प्राप्ति होती है. ऐसी मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अराधना करने से भक्तों के सभी बिगड़े काम बन जाते हैं.
पूजा विधि
आज के दिन सुबह उठकर जल्द स्नान कर लें, फिर पूजा के स्थान पर गंगाजल डालकर उसकी शुद्धि करें. घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित कर मां दुर्गा का गंगा जल से अभिषेक करें. मां दुर्गा को अर्घ्य दें. मां को अक्षत, सिन्दूर और लाल पुष्प अर्पित कर प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं. धूप और दीपक जलाकर दुर्गा चालीसा का पाठ करें और फिर मां की आरती करें. मां को सात्विक चीजों का भोग लगाएं.