जबलपुर: 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर फैसला सुनाने वाला है. इससे पहले श्री राम जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति के संस्थापक और सुप्रीम कोर्ट में पक्षकार स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने बड़ा बयान दिया है. स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने दावा किया है कि मंदिर निर्माण का हकदार रामालय ट्रस्ट है और रामालय ट्रस्ट में शामिल संतों द्वारा ही राम मंदिर का निर्माण कराया जाना चाहिए.
अयोध्या मामले पर फैसले से पहले शंकराचार्य का दावा, 'मंदिर निर्माण का हकदार रामालय ट्रस्ट'
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने बड़ा बयान दिया है. स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का दावा है कि मंदिर निर्माण का हकदार रामालय ट्रस्ट ही है.
शंकराचार्य की मांग
शंकराचार्य ने मांग रखी कि राम मंदिर का निर्माण गर्भ गृह में हो जिसे सनातन धर्म आचार्य ही बनाएंगे. पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने दावा किया कि राम मंदिर पर निर्माण का पहला हक रामालय ट्रस्ट का है और कोई भी राजनीतिक पार्टी राम मंदिर का निर्माण नहीं कर सकती. उन्होंने मांग रखी कि कंबोडिया के अंकुरबार की तर्ज पर भव्य राम मंदिर बने. जिसमें 100 फीट ऊंचा स्वर्ण मंडित मंदिर बनाया जाए. वहीं अयोध्या मामले में फैसले को लेकर देश में शांति बनाए रखने के लिए शंकराचार्य ने अपील भी की है. उन्होंने कहा कि वह मुस्लिमों के दुश्मन नहीं है बल्कि जैसे मुस्लिमों के लिए मक्का है, वैसे हिंदुओं के लिए राम जन्मभूमि है.
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
मीडिया से बातचीत के दौरान शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती राम मंदिर पर आने वाले फैसले को लेकर काफी आश्वस्त दिखे. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला उनके पक्ष में आएगा. शंकराचार्य ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को याद करते हुए उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी ने कहा था कि आरएसएस नहीं बल्कि शंकराचार्य ही हिंदुओं के प्रतिनिधि होते हैं. आरएसएस के लोग वेद शास्त्र को नहीं मानते, जबकि वेद शास्त्र को मानने वाला ही हिंदू है.