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चिट्ठी गैंग को चिट्ठी लिखने दीजिए योगी अपने अंदाज में काम करते रहेंगे: शलभ - धर्मांतरण विरोधी कानून

देश के 104 पूर्व आईएएस (IAS) अफसरों द्वारा योगी सरकार को चिठ्ठी लिखकर धर्मांतरण विरोधी कानून का विरोध जताने पर योगी सरकार ने उन्हीं पर पलटवार किया है. उत्तर प्रदेश सरकार ने चिट्ठी लिखने वालों को आतंकवाद परस्त करार दिया है. सरकार के सूचना सलाहकार शलभ मणि त्रिपाठी (Shalabh Mani Tripathi) ने कहा कि चिट्ठी गैंग को चिट्ठी लिखने दीजिए. योगी अपने अंदाज में काम करते रहेंगे.

सूचना सलाहकार शलभ मणि त्रिपाठी.
सूचना सलाहकार शलभ मणि त्रिपाठी.

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Published : Dec 30, 2020, 8:08 PM IST

Updated : Dec 31, 2020, 2:55 PM IST

लखनऊः शलभ मणि त्रिपाठी (Shalabh Mani Tripathi) ने कहा कि देश में चिट्ठी लिखने वालों का एक गैंग है जो आए दिन कुछ सिलेक्टेड मामलों में पत्र लिखता रहा है. यह चिट्ठी गैंग संसद पर हुए हमले में शहीद वीर रणबांकुरों के दरवाजे पर भले न गई हो पर इस हमले को अंजाम देने वाले आतंकियों और गद्दारों को फांसी से बचाने के लिए चिट्ठी लेकर आधीरात अदालतों के दरवाजे पर जरूर पहुंच जाती है. त्रिपाठी आगे कहते हैं कि ऐसे गैंग के बारे में देश का हर व्यक्ति जानता है. इसकी हम परवाह भी नहीं करते. चिट्ठी गैंग को चिट्ठी लिखने दीजिए. योगी अपने अंदाज में काम करते रहेंगे.

सूचना सलाहकार शलभ मणि त्रिपाठी का ट्वीट.

पत्र लिखने में शामिल पूर्व दिग्गज नौकरशाह
ज्ञात हो कि पत्र लिखने वालों में पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन, प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकार पीके नायर और पूर्व विदेश सचिव निरुपमा राव जैसे आईएएस अफसर शामिल हैं. योगी सरकार को पत्र लिखकर इन रिटायर्ड आईएएस अफसरों ने कहा है कि धर्मांतरण विरोधी कानून (anti-conversion law) ने राज्य को घृणा विभाजन और कट्टरता की राजनीति का केंद्र बना दिया है. पत्र के माध्यम से उन लोगों ने यह मांग की है कि इस कानून को वापस लिया जाए. इन पूर्व नौकरशाहों ने राजनेताओं की समझ पर भी सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने लिखा है कि मुख्यमंत्री सहित सभी राजनेताओं को संविधान के बारे में अपने आप को फिर से शिक्षित करने की जरूरत है.

यूपी के कई मामलों का किया जिक्र
पूर्व नौकरशाहों ने योगी सरकार को लिखे पत्र में उत्तर प्रदेश के कई मामलों का जिक्र भी किया है. इसमें यूपी के मुरादाबाद में हुए एक धर्मांतरण मामले का जिक्र किया गया है. इस मामले में बजरंग दल पर सवाल खड़ा किया है. एक अखबार की रिपोर्ट का हवाला देते हुए अफसरों ने यूपी पुलिस पर मूकदर्शक बने रहने का भी आरोप लगाया है. पत्र के माध्यम से योगी सरकार पर अल्पसंख्यकों को टारगेट किए जाने का आरोप लगाया गया है. पूर्व आईएएस अफसरों ने कहा है कि इस कानून के माध्यम से अल्पसंख्यक परिवारों का उत्पीड़न करने के लिए इस कानून का छड़ी के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है. इसलिए यह कानून उत्तर प्रदेश की सरकार द्वारा वापस लिया जाए, लेकिन इनके पत्र की परवाह किए बगैर सरकार ने दो टूक में जवाब दे दिया है.

Last Updated : Dec 31, 2020, 2:55 PM IST

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