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लखनऊ: मुस्लिम दम्पति ने रखा करवा चौथ का व्रत तो ये बोलीं शाईस्ता अम्बर

प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक मुस्लिम दम्पति के करवा चौथ का व्रत रखने पर शाईस्ता अम्बर ने बयान दिया है. उन्होंने कहा कि इस्लाम के दायरे में पवित्र नियत रखते हुए अगर किसी मुस्लिम दम्पति ने व्रत रखा है तो इसमें कोई हर्ज नहीं है.

शाईस्ता अम्बर
शाईस्ता अम्बर

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Published : Nov 5, 2020, 4:02 PM IST

लखनऊ:बीते दिन देश भर में करवाचौथ मनाया गया. राजधानी लखनऊ में एक मुस्लिम दम्पति ने भी करवा चौथ का व्रत रखा था. इस पर ऑल इंडिया महिला मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की अध्यक्ष और मशहूर समाजसेवी शाईस्ता अम्बर ने प्रतिक्रया दी है. उन्होंने कहा कि यह भी एक इबादत और तपस्या है. अल्लाह और परमेश्वर की कृपा है कि उत्तर प्रदेश के लखनऊ में मुस्लिम महिला ने अपने पति के लिए करवा चौथ का व्रत रखकर भारत की सांझा संस्कृति और आपसी सौहार्द को बढ़ावा दिया है.

जानकारी देती ऑल इंडिया महिला मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की अध्यक्ष शाईस्ता अम्बर.
शाईस्ता अम्बर ने तमाम देशवासियों को करवा चौथ के पवित्र पर्व की शुभकामनाएं दीं. इस दौरान उन्होंने कहा कि सांझा संस्कृति की मिसाल हमारे भारत में साधुओं, संतो, औलिया और बुजुर्गों ने अपने- अपने तरीके से पेश की हैं. उन्होंने कहा कि करवा चौथ सामाजिक व्यवस्था में आपसी सौहार्द, प्यार-मोहब्बत और खुशियां बांटने का पर्व माना जाता है. शाईस्ता अम्बर ने मुस्लिम दम्पति के करवा चौथ मनाने पर कहा कि इस्लाम के दायरे में पवित्र नियत रखते हुए यदि किसी मुस्लिम दम्पति ने व्रत रखा है तो इसमें कोई हर्ज नहीं है.

'एक दूसरे के धर्म का सम्मान हमारे देश की परंपरा'
उन्होंने मिसाल देते हुए कहा कि जब दुबई में हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक मंदिर का निर्माण करने के लिए गये थे, तब वहां पर भी कई मुस्लिम कम्यूनिटी के लोगों ने भगवत गीता को सर पर उठाया था. इसे सारी दुनिया ने देखा. यह सारी बातें दिलों को जोड़ने के लिए की जाती हैं. हमारे भारत में भी लोग होली का रंग एक दूसरे को लगाते हैं. खुशियों के त्योहार दीपावली में भी मुस्लिम पटाखे जलाते हैं और दीये रोशन कर एक दूसरे के घर जाकर बधाइयां देते हैं. शाईस्ता अम्बर ने कहा कि खुशियों में एक दूसरे के त्योहार और एक दूसरे के धर्म का सम्मान करने की हमारे देश की सांझी संस्कृति और परंपरा है.

'इस्लाम उदारता की बात करता है'
शाईस्ता अम्बर ने कहा कि इस्लाम धर्म किसी भी तरीके से संकीर्णता और छोटे दिल की बात नहीं करता है. इस्लाम धर्म उदारता की बात करता है, बल्कि हर धर्म उदारता, आपसी सौहार्द, सद्भवना, दया की बात करता है.

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