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'ये पब्लिक है- सब जानती है, अखिलेश को आजम के बजाय जिन्ना क्यों याद आ रहे हैं'

उत्तर प्रदेश कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश चेयरमैन शाहनवाज आलम ने फेसबुक लाइव कार्यक्रम के दौरान कहा कि प्रियंका गांधी की बढ़ती लोकप्रियता से घबराए अखिलेश यादव ने जानबूझ कर जिन्ना का नाम लिया. लेकिन अखिलेश यादव की रणनीति को जनता जान चुकी है.

शाहनवाज आलम.
शाहनवाज आलम.

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Published : Nov 7, 2021, 7:43 PM IST

लखनऊः समाजवादी पार्टी अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के जिन्ना वाले बयान पर उत्तर प्रदेश कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश चेयरमैन शाहनवाज आलम ने पलटवार किया है. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव और यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी की बढ़ती लोकप्रियता से घबराए अखिलेश यादव ने जानबूझ कर जिन्ना का नाम लिया. उनके इस बयान का मकसद था कि भाजपा सियासी बहस में पाकिस्तान और तालीबान ला दे और माहौल सांप्रदायिक हो जाए. लेकिन उनकी इस साजिश को लोग समझ रहे हैं और कोई भी उनके बहकावे में नहीं आएगा. अल्पसंख्यक कांग्रेस नेताओं ने हर रविवार को फेसबुक लाइव के माध्यम से होने वाले स्पीक अप अभियान की 20वीं कड़ी में सपा मुखिया अखिलेश यादव के जिन्ना वाले बयान को केंद्र में रखा.


अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश चेयरमैन शाहनवाज आलम ने अपने संबोधन में कहा कि अखिलेश यादव को आजम खान की याद नहीं आती. उन्हें जिन्ना की याद आ रही है ताकि भाजपा भी पाकिस्तान और तालिबान की एंट्री करा दे और चुनाव से जनता के मुद्दे गायब हो जाएं, जिन्हें प्रियंका गांधी लगातार उठा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि भाजपा और सपा की आपसी मिलीभगत को अब प्रदेश की जनता समझ चुकी है. मुस्लिम समाज देख रहा है कि अखिलेश यादव न तो सीएए-एनआरसी विरोधी आंदोलन के पुलिस दमन पर कुछ बोलते हैं न आजम खान पर. उनका जातिगत वोट बैंक भी अपने मुस्लिम प्रत्याशियों को वोट नहीं देता. मुस्लिम समाज में आई यह जागरूकता प्रदेश में कांग्रेस को सत्ता में लाने के लिए अहम है.

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गौरतलब है कि हरदोई जिले में एक जनसभा के दौरान अखिलेश यादव ने जिन्ना की तुलना सरदार पटेल से कर दी थी. इसके बाद अभी एक दिन पहले ही उन्होंने सफाई भी दी कि जो नेता जिन्ना वाले बयान पर घेरने का काम कर रहे हैं उन्हें पहले इतिहास पढ़ लेना चाहिए. अखिलेश के बयान देने के बाद से ही भाजपा और कांग्रेस के नेता लगातार पलटवार कर रहे हैं. यहां तक कि विपक्षी नेताओं ने अखिलेश यादव को पाकिस्तान में जाकर चुनाव लड़ने की नसीहत दे डाली.

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