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भाजपा के दबाव में भारत जोड़ो यात्रा में शामिल नहीं हुए अखिलेश: शाहनवाज आलम

अल्पसंख्यक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज आलम ने सपा मुखिया पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा के दबाव में अखिलेश यादव भारत जोड़ो यात्रा में शामिल नहीं हुए.

शाहनवाज आलम
शाहनवाज आलम

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Published : Jan 8, 2023, 5:11 PM IST

लखनऊ: मुस्लिम समुदाय अगर कांग्रेस की तरफ आ जाए तो भाजपा समाप्त हो जाएगी. सपा और बसपा ही भाजपा का सुरक्षा कवच हैं. इसीलिए निमंत्रण के बावजूद इन दोनों पार्टियों के नेता राहुल गांधी के भारत जोड़ो यात्रा में शामिल नहीं हुए. जबकि सपा की सहयोगी आरएलडी ने यात्रा में अपने प्रतिनिधि भेजे. इससे यह भी साफ हो जाता है कि सपा और आरएलडी का महागठबंधन अब टूट चुका है. ये बातें अल्पसंख्यक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज आलम ने साप्ताहिक स्पीक अप कार्यक्रम की 79 वीं कड़ी में कहीं.

शाहनवाज आलम ने कहा कि गाजियाबाद, बागपत और शामली जिले से गुजरी राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को जिस तरह मुस्लिम समुदाय का समर्थन मिला उससे तय हो गया है कि लोकसभा चुनाव में मुस्लिम समाज एक तरफा कांग्रेस के साथ आने वाला है. इससे सपा और बसपा अंदर तक हिल गई हैं. जिस तरह माहौल को भांपकर आरएलडी नेता जयंत चौधरी ने अखिलेश यादव की नाराजगी की परवाह न करते हुए यात्रा के स्वागत में अपने लोगों को भेजा. उससे यह भी लगता है कि अब सपा और आरएलडी का गठबंधन टूट चुका है. उन्होंने कहा कि भाजपा की असली ताकत इस समय समाजवादी पार्टी है, क्योंकि 20 प्रतिशत मुस्लिम वोट वहां जाकर एक तरफ किनारे पड़कर नष्ट हो जाता है. क्योंकि सपा के जातिगत वोटरों का भी एक हिस्सा ही सपा में जाता है. जबकि सपा के जातिगत वोटर की खराब छवि के कारण रियेक्शन में बाकी सभी तबकों का वोट भाजपा में चला जाता है.

शाहनवाज आलम ने कहा कि इसी कारण सपा और बसपा महागठबंधन पिछले लोकसभा चुनाव में रामपुर, मुरादाबाद, संभल, सहारनपुर, आजमगढ़ जैसी मुस्लिम बहुल सीटों पर ही जीत पाया था. जबकि बदायूं और कन्नौज जैसी यादव बहुल सीटों पर भाजपा की जीत हुई थी. कहा कि जब तक मुस्लिम समुदाय पूरी तरह कांग्रेस के साथ था. भाजपा की लोकसभा में सिर्फ दो ही सीटें होती थीं. आज समाज को सोचने की जरूरत है कि जैसे-जैसे वो कांग्रेस से दूर होता गया और सपा-बसपा को वोट देने लगा वैसे-वैसे भाजपा और मजबूत होती गई है. शाहनवाज ने कहा कि अखिलेश यादव और मायावती भाजपा के दबाव में भारत जोड़ने और संविधान बचाने के लिए चल रही राहुल गांधी की यात्रा में शामिल नहीं हुए. इससे यह भी साफ हो जाता है कि इनकी दिलचस्पी न देश जोड़ने में है न संविधान बचाने में.

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