लखनऊ: कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेता जितिन प्रसाद ने भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया है. कमल फूल वाला झंडा उनके कंधे पर आते ही सियासी गलियारे में यह चर्चा शुरू हो गई कि दो राजनीतिक धुर विरोधी सुरेश खन्ना और जितिन प्रसाद कैसे एक पार्टी में साथ काम कर पाएंगे. वैसे तो खन्ना राज्य तो जितिन केंद्र की राजनीति में सक्रिय रहे हैं लेकिन जिले की स्थानीय राजनीति में यह दोनों नेता धुर विरोधी हैं. अब सवाल उठता है कि यह दोनों नेता एक साथ एक दल में कैसे काम कर पाएंगे. हालांकि बीजेपी को आशा है कि जितिन के आने से ब्राह्मण वोटों को साधने में मदद मिलेगी.
योगी सरकार में ताकतवर मंत्री हैं सुरेश खन्ना
सुरेश खन्ना योगी सरकार में ताकतवर मंत्री हैं. उनके गृह जनपद शाहजहांपुर के एक विधायक कहते हैं कि खन्ना जिले की सियासत के बड़ा चेहरा हैं. यहां बीजेपी का मतलब खन्ना माना जाता है. दूसरी तरफ कांग्रेस का मतलब जितिन प्रसाद था. ऐसी कहावत है कि जिले में खन्ना के बिना एक पत्नी भी नहीं हिल सकता. ऐसे में वह जितिन प्रसाद का हस्तक्षेप स्वीकर नहीं करेंगे.
जितिन से मिलेगा बीजेपी को फायदा
राजनीतिक विश्लेषक विजय उपाध्याय कहते हैं कि जितिन प्रसाद केंद्रीय नेता हैं. वह समझदार नेता हैं. वह स्थानीय स्तर पर राजनीति में खन्ना से नहीं उलझेंगे. बीजेपी उन्हें जिले की राजनीति के लिए के लिए नहीं लाई है. वह प्रदेश या फिर राष्ट्रीय राजनीति करेंगे. बीजेपी को जितिन का फायदा मिलेगा.