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'शहीदों ने लौ जगाई जो' से देशभक्ति की अलख जगाई - लखनऊ समाचार

स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी में ‘शहीदों ने लौ जगाई जो’ का मंचन किया गया. कार्यक्रम का सीधा प्रसारण अकादमी फेसबुक पेज पर किया गया.

देशभक्ति नाटक मंचन करते कलाकार.
देशभक्ति नाटक मंचन करते कलाकार.

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Published : Aug 14, 2021, 8:14 PM IST

लखनऊ:स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर 14 अगस्त को उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी में आजादी के अमृत महोत्सव और चौरी चौरा शताब्दी महोत्सव के अंतर्गत ऑनलाइन कार्यक्रम ‘शहीदों ने लौ जगाई जो’ का मंचन कर देशभक्ति की अलख जगाई. गोमतीनगर स्थित अकादमी परिसर के वाल्मीकि रंगशाला से कार्यक्रम का सीधा प्रसारण अकादमी फेसबुक पेज पर किया गया.

संगीत नाटक अकादमी में प्रस्तुति देते कलाकार.

अकादमी के सचिव तरुण राज ने बताया कि यह ऐसा अवसर है जब देश की स्वाधीनता के लिए खुद को न्यौछावर करने वाले महान सपूतों के साथ ही आजादी को अक्षुण्ण रखने वाले राष्ट्रभक्तों को याद करते हुए उनके प्रति हमारे सिर श्रद्धा से झुक जाते हैं.

देशभक्ति नाटक मंचन करते कलाकार.
ऑनलाइन कार्यक्रम में अकादमी कथक केन्द्र के प्रशिक्षकों व छात्राओं ने भावों की अभिव्यक्ति करते हुए नृत्यनाटिका में खूबसूरती से उजागर की. वहीं, हाथ में तलवार लहराते हुए गोंडा के आल्हा गायक सहीराम पाण्डेय और उनके साथियों ने जोशीले स्वरों में अनेक प्रसंगों के साथ स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का पुण्य स्मरण किया. अंग्रेजों के देश पर कब्जे का जिक्र करते हुए उन्होंने- ‘भगत सिंह और तिलक गोखले दादा भाई मोतीलाल, चन्द्रशेखर आजाद, देसाई चितरंजन वीर जवान, अब्दुल रहमान खान और मौलाना कलाम आजाद, ये सब मिलके कीन्हि संगठन बापू से छाती लीन्ह मिलाय, कदम बढ़ाय दीन्ह आगे का पीछे कदम हटावा नाय’ जैसी पंक्तियां गाकर सेनानियों के योगदान को सामने रखा.
नाटक मंचन करते कलाकार.
कथक केन्द्र प्रशिक्षिका श्रुति शर्मा एवं नीता जोशी के नृत्य निर्देशन और कुशल गायक कमला कांत के संगीत निर्देशन में नाटिका प्रस्तुत किया गया. नाटिका में प्रख्यात छायावादी रचनाकार सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, शहीद क्रान्तिकारी पं.रामप्रसाद बिस्मिल और रंगनिर्देशक उर्मिलकुमार थपलियाल के रचे गीतों को शास्त्रीय नृत्य गतियों, संयोजनों में मंच पर प्रस्तुत किया. कई जगह पर पग और हस्त संचालन बेहद आकर्षक रहे. कुशल तबलावादक राजीव शुक्ल के वादन और पढ़न्त ने प्रस्तुति को और सजीवता प्रदान की.

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प्रशिक्षिका श्रुति व नीता के साथ ही छात्राओं में प्रियम, आकांक्षा, आकृति, रोशनी, सृष्टि, विधि, मनीषा, प्रिया केसर और अनन्तशक्ति की यह लयात्मक कथक भावांजलि देखने वालों को खूब भाई. प्रस्तुति को श्रवणीय बनाने में सितार पर बैठे डॉ. नवीन मिश्र, बांसुरी पर दीपेन्द्र कुंवर, सिंथसाइजर पर विजय सैनी और आक्टोपैड पर दीपककुमार का सराहनीय योगदान रहा.

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