लखनऊ : अंगदान के प्रति जागरूकता के लिए लखनऊ का संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन करने जा रहा है. जिसमें देश और विदेश के कई विशेषज्ञ शामिल होंगे. कार्यक्रम में यूनाइटेड किंगडम के अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ भी शामिल होंगे. एसजीपीजीआई की विज्ञप्ति के अनुसार भारत में गुर्दा और यकृत प्रत्यारोपण अक्सर जीवित दाताओं के साथ किए जाते हैं. पश्चिमी देशों में 80-90% प्रत्यारोपण मृत दाताओं से होते हैं. तमिलनाडु, तेलंगाना, केरल और गुजरात जैसे कुछ भारतीय राज्यों में मृतक अंग दान कार्यक्रम सफल हो रहे हैं. जबकि कुछ राज्य जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार और उत्तराखंड आदि पिछड़ रहे हैं. पूरे उत्तर प्रदेश में लगभग 45 हजार क्रोनिक किडनी रोग वाले लोगों को किडनी प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती है. इसी तरह के रोगियों को लीवर की भी आवश्यकता होती है और कई को हृदय प्रत्यारोपण की भी आवश्यकता होती है. हालांकि, उत्तर प्रदेश में मृतक दाता कार्यक्रम अपनी प्रारंभिक अवस्था में हैं.
पीजीआई लखनऊ में 13 और 14 मई को जुटेंगे देश और विदेश के विशेषज्ञ, जानिए क्यों - पीजीआई में अंग प्रत्योरोपण
पीजीआई लखनऊ में 13 और 14 मई को अंगदान के प्रति जागरूकता के लिए दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन होगा. इस दौरान विशेषज्ञ मृतक दान कार्यक्रम चलाने में सफलता और चुनौतियों से संबंधित अनुभव साझा करेंगे.
जानकारी के अनुसार संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान का नेफ्रोलॉजी और रीनल ट्रांसप्लांटेशन विभाग 13 और 14 मई 2023 को अपना स्थापना दिवस मना रहा है. इस अवसर पर विभाग मृत दाता प्रत्यारोपण कार्यक्रम पर एक सीएमई का आयोजन होगा. दो दिनों के कार्यक्रम के लिए, विभाग ने तमिलनाडु, तेलंगाना, केरल, कोलकाता, गुजरात और महाराष्ट्र से इस क्षेत्र के विशेषज्ञों को आमंत्रित किया गया है. आयोजन में यूनाइटेड किंगडम के अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ भी शामिल होंगे. कार्यक्रम के पहले दिन विशेषज्ञ अपने-अपने राज्यों में मृतक दान कार्यक्रम चलाने में सफलता और चुनौतियों के अपने अनुभवों को साझा करेंगे. इसके बाद यूपी के सरकारी प्रतिनिधियों सहित सभी हितधारकों के साथ चर्चा होगी.
कार्यक्रम के दूसरे दिन में अंगदान पर शोक परामर्श, पहचान और ब्रेन-डेड घोषणा, संरक्षण, रखरखाव, आवंटन और अंत में अंगों के प्रत्यारोपण जैसी विभिन्न कार्यशाला शामिल होगी. इस सम्मेलन में सरकारी और निजी क्षेत्र दोनों से विभिन्न विशिष्टताओं के डॉक्टर भाग लेंगे. नेफ्रोलॉजिस्ट, यूरोलॉजिस्ट, ट्रांसप्लांट सर्जन, न्यूरोलॉजिस्ट, न्यूरो-सर्जन, लिवर ट्रांसप्लांट-सर्जन, गैस्ट्रो-सर्जन, कार्डियोलॉजिस्ट, कार्डियक-सर्जन, ट्रॉमा-सर्जन और एनेस्थेसियोलॉजिस्ट आदि, प्रत्यारोपण समन्वयक, सामाजिक कार्यकर्ता और अन्य सभी हितधारक इसमें शामिल होंगे.
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