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एसजीपीजीआई को इमरजेंसी मेडिसिन परास्नातक की दो सीटों के लिए मिली अनुमति

एसजीपीजीआई (Sanjay Gandhi Post graduate Institute of Medical Sciences) को सत्र 2021-2022 से शुरू होने वाले इमरजेंसी मेडिसिन परास्नातक पाठ्यक्रम की दो सीटों के लिए अनुमति मिल गई है.

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Published : Nov 12, 2021, 4:18 PM IST

एसजीपीजीआई
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लखनऊ : राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (National Medical Commission) ने शुक्रवार को संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (Sanjay Gandhi Postgraduate Institute of Medical Sciences) को सत्र 2021-2022 से इमरजेंसी मेडिसिन परास्नातक पाठ्यक्रम की 2 सीटों के लिए अनुमति दे दी है.

एनएमसी ने इस संदर्भ में एक पत्र भी जारी किया है जिसमें संस्थान के इमरजेंसी मेडिसिन विभाग की 30 बेड की इकाई को भी मान्यता दी गई है. राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग को यह स्वीकृति उस समय प्राप्त हुई जब संस्थान में इमरजेंसी मेडिसिन व गुर्दा प्रत्यारोपण केंद्र (kidney transplant center) के नवीन भवन में इमरजेंसी के 210 बिस्तरों के विस्तार की दिशा में कार्य प्रगति पर है.

इस नवीन भवन के निर्माण व इससे संबंधित संयंत्रों की खरीद व मशीनों की स्थापना का कार्य अपनी पूर्णता के अंतिम चरण में है. यह भवन जल्द ही संस्थान को सौंप दी जाएगी. इस प्रत्याशित विस्तार के लिए जनशक्ति की भर्ती की प्रक्रिया भी चल है. इस संस्थान में आने वाले उन मरीजों की ही मदद हो पाएगी जो अत्यंत गंभीर अवस्था में पीजीआई की इमरजेंसी में पहुंचते हैं. नवीन इमरजेंसी ब्लॉक में उसी परिसर में आपातकालीन मरीजों के लिए नैदानिक व रेडियोलाॅजी की सभी सेवाएं उपलब्ध होंगी.

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संस्थान के निदेशक प्रोफेसर डॉ. आरके धीमन ने बताया की उत्तर प्रदेश राज्य में इस तरह की अत्याधुनिक इमरजेंसी का यह एकमात्र वृहद केंद्र होगा. बीमारी की गंभीरता और जांचों की अतिशीघ्र आवश्यकता के आधार पर इसे देखभाल के अनेक स्तरों में विभक्त किया जाएगा. इससे मरीज को अति शीघ्र सर्वोत्तम उपचार मिल सकें.

यहां रिससिटेशन एरिया (पुनर्जीवन एरिया) ट्रायज व सेवा सुश्रुषा एरिया, अल्पकालिक प्रवास इकाई, गहन चिकित्सा केंद्र, हाई डिपेंडेंसी यूनिट, शल्य चिकित्सा इकाइयां, एंडोस्कोपी व अन्य कक्षों की व्यवस्था होगी.

साथ ही रोग की गंभीरता के आधार पर लाल, पीले व हरे जोन की भी व्यवस्था होगी. इस बात पर विशेष ध्यान दिया गया है कि मरीज और उसके संबंधियों को सर्वोत्तम आकस्मिक सेवा मिल सके. साथ ही यहां कार्यरत स्टाफ की भी आवश्यकताओं को ध्यान में रखा गया है.

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निदेशक डॉ. धीमन ने बताया कि इमरजेंसी मेडिसिन विषय में परास्नातक पाठ्यक्रम आरंभ करना न केवल संस्थान में बल्कि राज्य में इमरजेंसी सेवाओं को उन्नत करने की दिशा में एक उत्प्रेरक का कार्य करेगा. यह चिकित्सीय व पराचिकित्सीय स्टाफ के इमरजेंसी मेडिसिन के क्षेत्र में प्रशिक्षण के लिए भी एक संसाधन प्रशिक्षण केंद्र के रूप में कार्य करेगा.

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