लखनऊ:आंबेडकर पार्क स्मारक समिति के पीएफ घोटाला का लखनऊ पुलिस ने खुलासा करते हुए 7 लोगों को गिरफ्तार किया है. पुलिस के मुताबिक जिन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, उनमें कैशियर और बिचौलिए भी शामिल है. वहीं जांच में सामने आया कि कर्मचारियों के 10 करोड़ हड़पने के लिए इन आरोपियों ने फर्जी दस्तावेज लगाए और पीएफ जमा होने के मैसेज आरोपियों के मोबाइल नंबर पर आए. इतना ही नहीं, इस घोटाले में नामजद बैंक प्रबंधक नागेंद्र पाल के भूमिका की भी जांच जारी है.
जानें क्या था मामला
दरअसल, लखनऊ विकास प्राधिकरण के सचिव पवन कुमार गंगवार ने बैंक प्रबंधक नागेंद्र पाल और उनके सहयोगियों के खिलाफ गोमतीनगर थाने में मुकदमा दर्ज करवाया था. मुकदमा दर्ज होने के बाद तत्कालीन स्मारक समिति के प्रबंधक देवेंद्र मणि को निलंबित कर दिया गया था. स्मारक समिति की ओर से बैंक ऑफ बड़ोदा की रोशनाबाद शाखा में 48 करोड़ की एफडी कराने के लिए 31 मार्च, 2021 को रुपये स्थानांतरित किए गए थे. हालांकि 28 मई, 2021 तक केवल 37 करोड़ 99 लाख 99 हजार 981 रुपए की एफडी की गई. शेष 10 करोड़ 19 रुपये की बैंक ने कोई रसीद नहीं दी. प्राधिकरण के अधिकारियों ने जब पड़ताल की तो पता चला कि शेष रकम कृष्ण मोहन श्रीवास्तव के बचत खाते में भेजी गई है. नियमानुसार यह रकम किसी व्यक्ति के खाते में नहीं जा सकती थी.
वहीं, पुलिस के मुताबिक स्मारक समिति के लेखाधिकारी संजय सिंह ने एलडीए के बिचौलिए शैलेंद्र को बताया था कि कर्मचारियों की रकम को बैंक में निवेश करना है. इस पर शैलेंद्र ने अपने साथी संदीप पी, मुकेश पाण्डेय उर्फ रविकांत को इस बारे में बताया. फिर संदीप पी अपने साथी मुकेश और दीपक यादवा के साथ बैंक ऑफ बड़ौदा रोशनाबाद शाखा के प्रबंधक नागेंद्र पाल से मुलाकात करने गए थे.