उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

सदैव अनुकरणीय हैं विवेकानंद के विचार : स्वामी मुक्तिनाथनन्द - स्वामी मुक्तिनाथनन्द

रामकृष्ण मठ के अध्यक्ष स्वामी मुक्तिनाथनन्द ने कहा कि स्वामी विवेकानन्द के विचार सदैव अनुकरणीय हैं. भारत के प्रति प्रेम उनका राष्ट्रीय जुनून था. युवाओं को स्वामी विवेकानंद के मार्ग पर चलते हुए न केवल आध्यात्मिक उन्नति करना है बल्कि समाज व राष्ट्र की उन्नति के लिए भी कार्य करना है.

ramakrishna math
रामकृष्ण मठ में विचार गोष्ठी.

By

Published : Feb 6, 2021, 12:10 AM IST

लखनऊ : निराला नगर, रामकृष्ण मठ में चल रहे चार दिवसीय स्वामी विवेकानन्द के 159वीं जयन्ती समारोह में शुक्रवार को स्वामी जी के जीवन पर विचार गोष्ठी हुई. कार्यक्रम का यूट्यूब चैनल 'रामकृष्ण मठ लखनऊ’ के माध्यम से सीधा प्रसारण भी किया गया.

संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए प्रदेश के पूर्व आई.जी. डाॅ. आर.के.एस.राठौर, आई.पी.एस.( सेवा निवृत्त) ने ‘स्वामी विवेकानन्द के राष्ट्र प्रेम’ विषय पर कहा कि भारत के लिए स्वामी विवेकानन्द का असाधारण प्रेम गहन चिंतन और प्रेरणा का विषय है. उनका भारत के लिए प्यार सिर्फ मौखिक नहीं था, बल्कि कई ठोस तरीकों से सन्निहित था. स्वामी जी ने भारत की सेवा के लिए मानव-शिक्षा की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने गरीबों और दलितों के उद्धार लिए कार्य किया व शिक्षित लोगों से गरीबी, भुखमरी, अशिक्षा और सामाजिक अत्याचार को दूर करने और जनता को ऊपर उठाने में मदद करने का आह्वान किया. स्वामी विवेकानन्द के लिए भारत के प्रति प्रेम और सेवा करना एक साधना थी.

रामकृष्ण मिशन आश्रम, कानपुर के सचिव स्वामी आत्मश्रद्धानन्दजी महाराज ने ’व्यक्तित्व विकास पर स्वामी विवेकानन्द के विचार’ विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा कि व्यक्तित्व विकास या किसी व्यक्ति की पूर्ण क्षमता का विकास करना स्वामी विवेकानन्द की केंद्रीय शिक्षा है. उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति अनिवार्य रूप से दिव्य है और मानव जीवन का उद्देश्य अपने संपूर्ण व्यक्तित्व को विकसित करके इस दिव्यता को प्रकट करना है, जिसमें सिर, हृदय और हाथ शामिल हैं. तीनों के सामंजस्यपूर्ण विकास की आवश्यकता हैं. उन्होंने बताया कि स्वामी जी के अनुसार व्यक्तित्व विकास का अर्थ है, स्वयं पर विश्वास, शक्ति, पवित्रता, निःस्वार्थता और दूसरों के प्रति प्रेम का भाव. सही प्रकार के व्यक्तियों का निर्माण करना किसी भी समाज और राष्ट्र की आवश्यकता है.

रामकृष्ण मठ के अध्यक्ष स्वामी मुक्तिनाथनन्द ने अपने अध्यक्षीय भाषण में भक्तों को सम्बोधित करते हुए कहा कि स्वामी विवेकानन्द का भारत के प्रति प्रेम उनका राष्ट्रीय जुनून था. वास्तव में वह भारत की आत्मा थे. भारत के प्रति उनका प्रेम उनकी गहरी रुचि के कारण प्रकट हुआ था, जिससे वे सन्निहित की पीड़ा को दूर कर सकें और उन्हें आत्म-प्रासंगिक बना सकें. इसके लिए वह भारतीय लोकाचार के अनुसार अपने व्यक्तित्व विकास के माध्यम से अपनी मातृभूमि की सेवाओं के लिए अपना जीवन समर्पित करने के लिए भारतीय युवाओं को प्रेरित करना चाहते थे. उन्होंने कहा कि युवाओं को स्वामी विवेकानंद के मार्ग पर चलते हुए न केवल आध्यात्मिक उन्नति करना है बल्कि समाज व राष्ट्र की उन्नति के लिए कार्य करना है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details