लखनऊ: केंद्र सरकार के ऐतिहासिक फैसले से कांग्रेस की उम्मीदों को जोरदार झटका लगा है. वर्ष 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव और 2024 लोकसभा चुनाव के लिए अभी से जुटी कांग्रेस पार्टी की उम्मीद को सरकार ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 और 35a हटाकर झकझोर कर रख दिया है.
कांग्रेस नेता केंद्र सरकार के फैसले पर करते रहे चर्चा. कांग्रेस नेता केंद्र सरकार के फैसले पर करते रहे चर्चा
दिनभर यूपी कांग्रेस मुख्यालय पर कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच धारा 370 और 35a हटने के बाद भविष्य में देश में कांग्रेस की स्थिति क्या रहेगी, ऐसी चर्चाओं का बाजार गर्म रहा. कांग्रेसियों को साफ तौर पर लगने लगा है कि अब कम से कम 10 साल तक तो हम सत्ता की उम्मीद पूरी तरह से छोड़ ही दें.
2019 लोकसभा चुनावों में बुरी तरह हार के बाद कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव और यूपी प्रभारी प्रियांका गांधी ने 2022 में यूपी विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेसियों को अभी से जुट जाने को कहा था. कांग्रेसी इसके लिए तैयारी भी करने लगी थी.
सोनभद्र नरसंहार और उन्नाव रेप कांड को लेकर सड़कों पर उतरी थी कांग्रेस
सोनभद्र नरसंहार और उन्नाव रेप कांड के मुद्दे पर कांग्रेस पार्टी सड़कों पर खूब उतरी और उसे भी लगने लगा कि अब धीरे-धीरे लोग कांग्रेस की तरफ फिर से आकर्षित होंगे. 2022 में कांग्रेस का चमत्कारिक प्रदर्शन हो सकेगा और 2024 तक कांग्रेस फिर से जनता में अपना विश्वास जीतेगी. कांग्रेस भविष्य की उम्मीद लगाए बैठी थी, वहीं बीजेपी ने वर्तमान में ही एक ऐसे मुद्दे को जो दशकों से चला आ रहा था, उसे झटके में खत्म कर दिया.
धारा-370 हटाने की काफी समय से चल रही थी मांग
देशवासियों को वह सौगात दे दी, जिसका उन्हें बेसब्री से इंतजार था. धारा 370 और 35a जैसे ही जम्मू-कश्मीर से हटाने की सदन में घोषणा हुई वैसे ही कांग्रेस की उम्मीद पर पूरी तरह से पानी ही फिर गया. कांग्रेस कार्यालय पर नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच यही चर्चा होती रही कि आखिर अब कांग्रेस करेगी तो क्या? पूरा देश तो बीजेपी के साथ जश्न मनाने में जुटा है. ऐसे में अब हम कम से कम 10 साल तो सत्ता के बारे में सोचें भी नहीं.
गुलाम नबी आजाद की सदन में प्रतिक्रिया को लेकर कांग्रेस नेता करते रहे विचार
इतना ही नहीं यूपी कांग्रेस में तो नेताओं के बीच आज पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद भी निशाने पर ही रहे. चर्चा रही कि गुलाम नबी आजाद को कम से कम सदन में बोलना ही नहीं चाहिए था, जिससे कांग्रेस पार्टी की इज्जत तो बची रहती. उनके इस कृत्य से भविष्य में कांग्रेस को और भी घाटा ही होने वाला है, क्योंकि देश की जनता पूरी तरह से भारतीय जनता पार्टी के साथ जा रही है.