लखनऊ में 1000 दिनों से लागू है धारा 144, जानिए क्या है इसके पीछे Police Strategy
यूपी की राजधानी लखनऊ में 33 महीने से लगातार धारा 144 (Police Strategy for Section 144) लगी है. हालांकि इस बीच कानून व्यवस्था बिगड़ने जैसी कोई खास गतिविधियां भी नहीं हुईं. इसके बावजूद लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट धारा 144 की मियाद हर माह बढ़ा रही है. ऐसे में यह लगता है कि पुलिस जरूरत से ज्यादा ऐहतियात बरत कर कुछ मनमानी करने की छूट हासिल करना चाहती है.
लखनऊ :उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की कानून व्यवस्था बीते 1000 दिनों से डर के साए से गुजर रही है. बीते 1000 दिनों में एक दिन भी ऐसा नहीं रहा जब लखनऊ बिना किसी पाबंदी के रहा हो. भले ही यह पाबंदियां कागजों तक ही सीमित रहीं. यह इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि 1 मार्च 2021 को लखनऊ में लगी धारा 144 अब तक शहर में लगी हुई है. जिसे जिसकी मियाद हर माह पुलिस कमिश्नरेट द्वारा बढ़ाई जा रही है.
पाबंदी लागू करने पर जेसीपी ने कही यह बात.
लखनऊ के संयुक्त पुलिस कमिश्नर कानून व्यवस्था उपेंद्र अग्रवाल ने गुरुवार को लखनऊ में लगी धारा 144 की मियाद 31 दिसंबर तक के लिए फिर बढ़ा दी है. आदेश में कहा गया है कि दीपावली, छठ पूजा, क्रिसमस समेत आगामी त्योहारों और प्रतियोगी परीक्षाओं को देखते हुए शहर में धारा 144 31 दिसंबर 2023 तक बढ़ाई जा रही है. यानि 31 दिसम्बर तक कोई भी पांच लोगों के समूह में कहीं खड़े होने, बिना इजाजत जुलूस निकालने, संवेदनशील इलाकों में ड्रोन उड़ाने समेत दर्जनों कार्य करने से वंचित रहेंगे. हालांकि यह पहली बार नहीं था जब लखनऊ के पुलिस कमिश्नरेट की ओर से यह आदेश जारी किया गया है. बीते 33 माह (लगभग 1000) दिनों से यह आदेश बिना किसी अंतराल के जारी किया जा रहा है.
पाबंदी लागू करने की अवधि.
धारा 144 लागू होने पर ये तमाम गतिविधियां हो जाती हैं प्रतिबंधित
विधानभवन के आसपास एक किलोमीटर के दायरे में ट्रैक्टर-ट्राली, बैलगाड़ी, घोड़ा गाड़ी, ज्वलनशील पदार्थ, गैंस सिलेंडर, घातक पदार्थ, हथियार आदि लेकर आवागमन पूर्ण रूप से प्रतिबन्धित. साथ ही इस परिधि में किसी भी प्रकार के धरना-प्रदर्शन पूर्ण रूप से प्रतिबन्धित. इस प्रकार के वाहनों एवं वस्तुओं के प्रवेश तथा धरना-प्रदर्शन किए जाने पर उल्लंघन की कार्रवाई का प्रावधान.
सरकारी दफ्तरों व विधानसभा भवन के ऊपर व आसपास एक किमी के दायरे में ड्रोन से शूटिंग करना पूरी तरह से प्रतिबन्धित होगा. अन्य स्थानों पर भी पुलिस आयुक्त या फिर संयुक्त पुलिस आयुक्त की अनुमति के बिना किसी प्रकार के ड्रोन कैमरे से शूटिंग या फोटोग्राफी नहीं की जाएगी.
कोई भी व्यक्ति ड्यूटीरत पुलिस अधिकारी, कर्मचारीगण, नगर निगम, स्वास्थ्य विभाग, सफाई कर्मी के साथ अभद्रता अथवा मारपीट करता है तो उसके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी.
कोई भी व्यक्ति पुलिस आयुक्त लखनऊ, संयुक्त पुलिस आयुक्त, पुलिस उपायुक्तों की अनुमति प्राप्त किए बिना न तो 5 या इससे अधिक व्यक्तियों का किसी प्रकार का कोई जुलूस निकालेगा न ही सार्वजनिक स्थान पर 5 या इससे अधिक व्यक्तियों का समूह बनाएगा और न ही ऐसे किसी समूह में सम्मिलित होगा.
कोई भी व्यक्ति मास्क बिना पहने घूमने/सार्वजनिक स्थानों पर उपस्थित व सार्वजनिक स्थानों में थूकने पर नियमानुसार विधिक कार्रवाई करते हुए जुर्माना वसूला जाएगा.
किसी धार्मिक स्थल, सार्वजनिक स्थल, जुलूसों, अन्य आयोजनों पर लाउडस्पीकर की ध्वनि की तीव्रता के सम्बन्ध में ध्वनि प्रदूषण (विनिमय और नियंत्रण), नियम-2000 यथा संशोधित के प्राविधानों का अनुपालन आवश्यक होगा. रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक लाउडस्पीकर का प्रयोग नहीं किया जाएगा. सर्वोच्च न्यायालय के ध्वनि के सम्बन्ध में दिए गए दिशा-निर्देशों का अनुपालन करना आवश्यक होगा. अपरिहार्य स्थिति में अनुमति पुलिस आयुक्त या संयुक्त पुलिस आयुक्त (अधोहस्ताक्षरी) या पुलिस उपायुक्त जोन से लेनी होगी.
लखनऊ कमिश्नरेट क्षेत्र की सीमा के अन्दर कोई भी व्यक्ति ऐसा कोई अनुचित मुद्रण/प्रकाशन जिससे साम्प्रदायिक तनाव अथवा समुदायों के बीच वैमनस्य उत्पन्न हो, नहीं करेगा.
कोई भी व्यक्ति लखनऊ कमिश्नरेट की सीमा के अन्दर लाठी, डंडा (अन्धे व अपाहिज व्यक्तियों तथा सिख धर्म द्वारा रखे जाने वाले कृपाण को छोड़कर), तेज धार वाले चाकू तथा नुकीले शस्त्र जैसे- तलवार, बरछी, गुप्तियां, कटार, फरसा, संगीन, त्रिशूल अथवा अग्नेयास्त्र, ज्वलनशील पदार्थ, घातक हथियार आदि लेकर नहीं चलेगा और न ही किसी सार्वजनिक स्थान पर प्रदर्शित करेगा. ड्यूटीरत पुलिस कर्मी या अर्द्ध सैनिक बल पर ये प्रतिबन्ध लागू नहीं होंगे.
कोई भी व्यक्ति एक दूसरे के धर्म ग्रन्थों का अपमान नहीं करेगा. धार्मिक स्थानों, दीवारों आदि पर किसी प्रकार के धार्मिक झंडे, बैनर, पोस्टर आदि नहीं लगाएगा और न ही किसी को इस कार्य में सहयोग प्रदान करेगा.
लखनऊ कमिश्नरेट सीमा के अन्दर किसी भी समुदाय के व्यक्ति द्वारा दूसरे समुदाय की भावनाओं के विपरीत ऐसा कोई कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जाएगा, जिससे शांति भंग होने की आशंका हो और न ही दूसरे समुदाय के धार्मिक भावनाओं के विरुद्ध किसी प्रकार का उत्तेजनात्मक भाषण दिया जाएगा और न ही सोशल मीडिया के माध्यम से गलत सूचना एवं अफवाहें फैलाई जाएंगी.
कोई व्यक्ति किसी खुले स्थान पर अथवा मकानों की छतों पर ईंट, पत्थर, सोडावाटर की बोतल, ज्वलनशील पदार्थ अथवा कोई विस्फोटक सामग्री जमा नहीं करेगा और न रखेगा, जिसका प्रयोग आतंक उत्पन्न करने अथवा किसी हिंसात्मक गतिविधियों में किया जा सके.
पाबंदी लागू करने की शर्तें.
पहले हालातों को देख लगती थी धारा 144 :लखनऊ राजधानी होने के चलते हमेशा से संवेदनशील शहर माना जाता रहा है. यहां विधान सभा, मुख्यमंत्री समेत सभी मंत्रियों के आवास और कार्यालय मौजूद हैं. ऐसे में धरना प्रदर्शनों, जातिगत या धार्मिक उन्माद की स्थितियों को देखते हुए जिलाधिकारी धारा 144 का इस्तेमाल करते रहे हैं. हालातों को काबू करने, कानून व्यवस्था सुधरने और बंदिशें लगाने के लिए धारा 144 काफी हद तक कारगर होती रही है. हालांकि राजधानी में पुलिस कमिश्नरी प्रणाली लागू होने के बाद धारा 144 लगाने का अधिकार पुलिस कमिश्नरेट के पास आ गया है. इसके बाद कानून व्यवस्था बनाए रखने, धारा 144 लागू करने, धरना प्रदर्शन की मंजूरी देने समेत कई अधिकारी डीएम से हट कर पुलिस कमिश्नर के पास आ गई है. इसी को देखते हुए कमिश्नरेट ने शहर में हर वक्त धारा 144 लगाए रखने का फैसला किया है.
पाबंदी में कार्रवाई का प्रावधान.
1000 दिन पहले कब शुरू हुई थी धारा 144 :वर्ष 2020 से यूपी दिल्ली बॉर्डर पर किसान बिल के खिलाफ किसानों का आंदोलन शुरू हुआ जो वर्ष 2021 आते आते जोर पकड़ चुका था. किसानों ने सभी राज्यों तक अपना आंदोलन शुरू करने का ऐलान किया. लिहाजा लखनऊ में भी ट्रैक्टर रैली निकालने की घोषणा हो गई. इसे देखते हुए एक मार्च 2021 को तत्कालीन लखनऊ के संयुक्त पुलिस कमिश्नर नवीन अरोड़ा ने शहर में धारा 144 लगा दी. इस आदेश में कहा गया कि राजनीतिक दल, छात्र संगठन और किसान संगठन लखनऊ में आंदोलन कर माहौल खराब कर सकते हैं. इसके अलावा अगले कुछ दिनों के दौरान महाशिव रात्रि, गुड फ्राइडे, होली, शब-ए-बारात, ईस्टर जैसे त्योहार हैं, इसलिए 5 अप्रैल 2021 तक राजधानी में सीआरपीसी की धारा 144 लगाने का फैसला किया गया है. इतना ही नहीं धारा 144 लागू होने के बाद ट्रेक्टर ट्राली को भी विधान सभा के करीब आने पर रोक लगा दी गई थी. हालांकि यह आदेश किसान आंदोलन को देखते हुए ही जारी किया गया था. एक मार्च से पांच अप्रैल 2021 तक लगी धारा 144 का समय धीरे धीरे बढ़ाया जाने लगा. स्थिति यह रही कि 1 मार्च के बाद से अब तक एक दिन भी ऐसा नहीं रहा जब धारा 144 न लगी हो. हर माह इसकी मियाद एक माह के लिए बढ़ा दी जाती है.