लखनऊ: भगवान गणेश और माता लक्ष्मी समृद्धि के प्रतीक माने जाते हैं. हम अपने घर में समृद्धि की कामना के लिए भगवान की मूर्ति स्थापित कर पूजन-अर्चन करते हैं, लेकिन इन मूर्तियों का निर्माण करने वाले कलाकारों के घर में सदा से ही समृद्धि का अभाव रहा है. इनकी गृहस्थी बिगड़ती जा रही है. कोरोना काल में हालत और भी खराब हो गई, इनके रोजगार टूट गए, घर का खर्च चलाना भी दूभर हो गया. ऐसे में राज्य सरकार आगे आई और सरकार ने स्वयं सहायता समूह के माध्यम से इनके घर की महिलाओं को जोड़ा, आर्थिक मदद की. अब धीरे-धीरे इनका रोजगार फिर से पटरी पर आ गया है.
बहुरेंगे मूर्तिकारों के दिन.
बिखर रहा था उद्योग
राजधानी लखनऊ के शिवपुरी गांव में परंपरागत तरीके से मूर्तियों का निर्माण किया जाता है. वर्षों से मूर्तियों का निर्माण करने वाले यहां के मूर्तिकार परिवारों की स्थिति बेहद खराब हो गई थी. कोराना काल में लागू लॉकडाउन के कारण उपजे हालातों में कर्ज लेकर मूर्ति निर्माण का कार्य करने वाले इस परिवार का इस उद्योग से मन टूट गया था, फिर उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन ने प्रदेश भर में महिलाओं के समूह गठन का अभियान शुरू किया. इसके बाद सरकार से मदद मिलने के बाद अब धीरे-धीरे इनकी स्थिति में सुधार हो रहा है.
मूर्तियों के निर्माण के लिए सबसे पहले मिट्टी की जरूरत होती है. मिट्टी की खोदाई करने के लिए हम लोग जाते हैं, तो लोग रोकते हैं. कई बार तो हमारे साथ मारपीट और गाली-गलौज भी हो जाती है. इसलिए हमें माटी खरीदनी पड़ती है. 2,000 रुपये की एक ट्राली मिट्टी खरीदते हैं. कर्ज लेकर काम करते हैं.
लवकुश, मूर्तिकार
चीनी मूर्तियों को दे रहीं टक्कर
इस अभियान के तहत सरकार ने मूर्तिकारों के परिवारों की महिलाओं को जोड़ा है. सरकार की तरफ से करीब एक लाख रुपये की आर्थिक मदद की गई. इसके बाद मूर्तिकारों के परिवारीजनों के चेहरे पर खुशी आई. अब यह लोग मिलकर मूर्तियों का निर्माण पूरे मनोयोग से कर रहे हैं. इनकी मूर्तियां बहुत सुंदर एवं आकर्षक हैं. ये मूर्तियां चाइनीज प्रोडक्ट को भी टक्कर देती हैं.
साल में 15 हजार मूर्तियां बनाता है यह समूह
दुर्गा स्वयं सहायता समूह की महिलाएं पूरे साल में करीब 15,000 गणेश-लक्ष्मी की मूर्तियां बनाती हैं. समूह की सदस्य डॉली यादव कहती हैं कि समूह के बनने से आर्थिक सहायता तो मिली ही है. साथ ही व्यावहारिक बदलाव बहुत हुआ है.
पहले हम लोग घर से बाहर नहीं निकलती थे, बाहर निकलने में संकोच होता था. पर्दे में रहती थीं, लेकिन आज हम लोग बाहर निकल कर समूह में एक दूसरे से बात करके काम कर रहे हैं. इससे आत्मविश्वास बढ़ा है. आगे चलकर हम गमला भी बनाने वाले हैं.
डॉली यादव, सदस्य, दुर्गा स्वयं सहायता समूह
प्रधानमंत्री मोदी के 'लोकल के लिए वोकल' नारे को आत्मसात करते हुए उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने भी स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं. वहीं सरकार ने लोगों से अपील भी की है कि दिवाली के अवसर पर धूप, दीप से लेकर पूजन सामग्री और गणेश लक्ष्मी की मूर्तियां आदि सभी स्थानीय उत्पाद ही उपयोग में लाये. इसी क्रम में प्रदेश के विभिन्न जिलों में दिवाली के अवसर पर उपयोग में लाई जाने वाली वस्तुओं का निर्माण किया जा रहा है.