उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

CSIR के वैज्ञामिकों ने दिए जैविक खेती के गुर, बढ़ेगी किसानों की आमदनी

प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्थित CSIR (केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान) में बाराबंकी से किसान और (आईएनएम) इंटीग्रेटेड नेचरएंट मैनेजमेंट संस्था के छात्न पहुंचे. इस दौरान CSIR के वैज्ञानिकों ने उन्हें खेती में जैविक खाद का उपयोग करने के बारे में जानकारी दी.

किसानों की आमदनी बढ़ाने के दिए गुर.
किसानों की आमदनी बढ़ाने के दिए गुर.

By

Published : Mar 20, 2021, 7:45 AM IST

लखनऊ:राजधानी में स्थित केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान(CSIR) सीमैप में किसानों को औषधीय खेती के साथ ही वार्मिंग कंपोस्ट विधि का इस्तेमाल कर जैविक खेती करने के लिए जानकारी दी जाती है. इस तरह से खेती करने पर किसानों की आमदनी भी बढ़ती है. पूरे देश के किसान अपनी फसलों को लेकर व्यापक जानकारी लेने 'CSIR' सीमैप में आते हैं. किसानों को खेती से जुड़ी तमाम जानकारियों को लेने के लिए देश भर से किसान यहां पर वैज्ञानिकों से परामर्श लेने आते हैं.

किसानों की आमदनी बढ़ाने के दिए गुर.
CSIR में आईएनएम की संस्था के लोगों को मिली जानकारी
इसी क्रम में बाराबंकी से किसान और (आईएनएम) इंटीग्रेटेड नेचरएंट मैनेजमेंट संस्था के स्टूडेंट वार्मिंग कंपोस्ट और खेती में जैविक खाद का उपयोग करने के साथ-साथ किसानों की आय बढ़ाने वाली खेती के बारे में जानकारी लेने के लिए CSIR पहुंचे. जिनकोयहां मौजूद वैज्ञानिकों ने वार्मिंग कंपोस्ट खाद विधि और जैविक खाद के फायदे और खेती के बारे में बताया. बाराबंकी से जानकारी लेने आये आईएनएम संस्था के लोगों ने बताया कि सीएसआईआर में उन्हें जानकारियों को लेकर अच्छा रिस्पांस मिला है. यहां पर वार्मिंग कंपोस्ट विधि से जैविक खेती करने के लिए बताया गया है. उन्होंने बताया कि हम इससे आमदनी बढ़ा सकते है, साथ ही जैसे मेंथा और अन्य फसलें ऐसी है जिनके बचे हुये अपशिष्ट को भी इस्तेमाल किया जा सकता है. इसे वार्मिंग कंपोस्ट के तहत गड्ढा खोदकर उससे खाद भी बनाई जा सकती है. उस जैविक खाद को खेतों में डालकर उत्पादन बढ़ाया जा सकता है. इससे पर्यावरण भी ठीक रहेगा और साथ ही उत्पादन भी बढ़ेगा.
वार्मिंग कंपोस्ट विधि से बनाई गई खाद से बढ़ेगी जमीन की उर्वरा शक्ति और किसान की आय
CSIRके वैज्ञानिक डॉक्टर राम सुरेश शर्मा ने बताया कि लेमनग्रास, पमरोज़ा, मेंथा तेल निकालने के बाद बचे अवशेष को गड्ढे में डाला जाता है. जिसके बाद 3 से 4 महीने के अंदर खाद बनकर तैयार हो जाती है. राम सुरेश शर्मा ने बताया कि इस तैयार खाद को खेत की जुताई के समय खेत में डाल दें, इससे खेती में पैदावार बढ़ेगी और जैविक खेती का असर भी देखने को मिलेगा. राम सुरेश शर्मा ने बताया कि यदि किसान ऐसा करेंगे तो जमीन की उर्वरा शक्ति तो बढ़ेगी ही साथ ही किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी.

ABOUT THE AUTHOR

...view details