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लखनऊ के वैज्ञानिक बतायेंगे दो हजार साल पहले कैसी थी जलवायु, तमिलनाडु में चल रहा शोध - बीरबल सहानी पुराविज्ञान संस्थान

जलवायु, जमीन और समुद्र का रूख बदल रहा है. जिसके चलते बेमौसम बारिश हो जाती है. यह सब जलवायु परिवर्तन के कारण हो रहा है. जलवायु परिवर्तन का कारण और 2000 साल पहले धरती पर कैसा वातावरण था, ये जानने के लिए बीरबल साहनी पुराविज्ञान (Birbal Sahani Paleontology) के वैज्ञानिक तमिलनाडु के एक गांव में शोध कर रहे हैं.

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जलवायु परिवर्तन पर शोध

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Published : Feb 26, 2022, 7:41 PM IST

लखनऊ:बीरबल सहानी पुराविज्ञान संस्थान (Birbal Sahani Institute of Paleontology) के वैज्ञानिक जलवायु परिवर्तन के कारण जानने के लिए के लिए शोध कर रहे हैं. 2000 साल पहले धरती पर कैसी जलवायु थी यह जानने के लिए तमिलनाडु के एक गांव में शोधकार्य चल रहा है.

वरिष्ठ वैज्ञानिक राजेश अग्निहोत्री ने बताया कि इस समय जलवायु परिवर्तन तेजी से हुआ है. अब किसी भी मौसम में बारिश हो जाती है, तूफान आ जाता है, बादल घिर जाते हैं. यह सब जलवायु परिवर्तन के कारण हो रहा है. वैज्ञानिकों की टीम इस बात की तह तक जाने के लिए तमिलनाडु के एक गांव में जाकर रिसर्च कर रही हैं. इस रिसर्च के जरिये जानना चाहते है कि आज से 2000 साल पहले धरती पर किस प्रकार की जलवायु हुआ करती थी.

जलवायु परिवर्तन पर शोध


वनस्पति विज्ञान की विशेषज्ञ डॉ. अंजुम फाखरी ने बताया कि आज से हजार साल पहले धरती पर किस तरह की जलवायु हुआ करती थी. इसके बारे में पता लगाने के लिए सबसे जरूरी है कि पानी के जरिए सौर लाइन का पता लगाया जाए. हमारी टीम ने 7 फिट का एक गड्ढा खोदा है और हम इस गड्ढे में जाकर मिट्टी, पानी, वनस्पति, ईंट सभी की जांच कर रहे हैं. जलवायु के बारे में ज्यादा बेहतर तरीके से पानी की जांच के जरिए ही पता लगाया जा सकता है. इसके लिए हमने यहां के पानी की जांच की. जब सौर लाइन ऊपरी सतह पर होती है तब जलवायु सही रहती है. वहीं, अब यह लाइन नीचे की ओर जा रही है. इस कारण जलवायु परिवर्तन तेजी से हो रहा है. जिस वजह से आज बेमौसम बरसात होती है, तूफान आते हैं. सर्दियों के मौसम में सर्दी आधे जनवरी बीत जाने के बाद महज 10 दिन के लिए होती है. यह सभी जलवायु परिवर्तन के कारण ही होता है.

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उन्होंने आगे कहा इस समय मौसम सर्दी से गर्मी की में बदल रहा है. लेकिन पृथ्वी का तापमान अधिक है जिसके चलते फरवरी के महीने में ही गर्मी सा आभास हो रहा है. 2000 वर्ष पहले धरती पर जीव-जंतु, पेड़-पौधे, वनस्पतियां अत्यधिक मात्रा में होती थी. यह सभी मिलकर जलवायु को नियंत्रित करती थी. लेकिन, आज के समय में प्रदूषण, कार्बन डाइऑक्साइड का ज्यादा सृजन और वनस्पतियां एवं पेड़-पौधों के समाप्त हो जाने के कारण जलवायु खराब हो रही है.


वैज्ञानिक राजेश अग्निहोत्री ने बताया कि एक अध्ययन के मुताबिक पूरी दुनिया में 7 लाख से 47 लाख के बीच अकाल मौतें कम की जा सकती हैं. काले कॉर्बन और मीथेन के कई श्चोत हैं. इनके उत्सर्जन को कम करने के लिए विभिन्न देशों को अपने ढांचे में कई तरह के सुधार करने होंगे और टेक्नोलॉजी को बदलना होगा.

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