लखनऊ:मार्च 2020...परदेस से आए कोरोना ने भारत में खलबली मचानी शुरू कर दी. धीरे-धीरे चीन का यह वायरस आगरा के रास्ते उत्तरप्रदेश में दाखिल हुआ. 13 मार्च 2020, जब प्रदेश में कोरोना के 11 मामलों की पुष्टि हुई तो सरकार ने स्कूल-कॉलेज समेत तमाम शिक्षण संस्थानों को 7 दिन के लिए बंद करने का फैसला किया. एग्जाम स्थगित हो गए. मगर दिन पर दिन बीतते गए ...22 मार्च को जनता कर्फ्यू ....फिर तो एक लंबा लॉकडाउन का ऐलान. पूरा देश घर में कैद हो गया..ऐसे में स्कूल खुलने का सवाल कहां था. छोटे बच्चों को मनचाही छुट्टी मिल गई तो सीनियर क्लास के बच्चे एग्जाम के लिए चिंतित हो गए. ...कई सवाल आए...अगली क्लास में एडमिशन कैसे मिलेगा? पढ़ाई कैसे आगे होगी. स्कूल की फीस माफ होगी क्या...
सिस्टम ने बदले परिवेश में इन सवालों के जवाब भी ढूंढे. मसलन...ऑनलाइन क्लासेज शुरू हुईं. बच्चों को बिना एग्जाम अगले क्लास में तरक्की दी गई. फीस का मसला अभी भी पैरंट्स और स्कूलों के बीच विवाद का विषय है. ऑनलाइन क्लास से शहरी क्षेत्रों के बच्चे तो मम्मी-पापा के सहयोग से पढ़ने लगे, मगर ग्रामीण इलाकों के स्टूडेंट संसाधनों की कमी के कारण इसका फायदा नहीं ले सके. ..खैर. 1 जून से अनलॉक- वन से फिर से कोरोना से पहले वाले दौर में लौटने की कोशिश शुरू हुई. मंदिर खुले. बसें चलीं. हवाई जहाज को उड़ने की इजाजत मिली. दुकानें भी खुलीं. इसी तरह 7 महीने बीत गए और अक्टूबर आ गया, मगर स्कूल नहीं खुले.
स्कूल और शिक्षण संस्थान खुलते भी तो कैसे? कोरोना लगातार कहर बरपा रहा था. इसका प्रकोप आज भी कम तो नहीं हुआ, मगर जिंदगी जीने के रास्ते इसके खौफ के बीच में तलाशे जा रहे हैं. जीना है तो काम करना है. अच्छे भविष्य के लिए पैरंट्स को काम करना है, तो बच्चों को पढ़ाई भी करनी है. सरकार ने नई गाइडलाइन के तहत स्कूल खोलने का फैसला लिया. अनलॉक-5 में सोमवार को कक्षा नौ से 12वीं तक के बच्चों के लिए स्कूल खोल दिए गए. सोमवार की सुबह स्कूल खुलने पर शिक्षकों के साथ ही छात्र भी उत्साहित नजर आए. सात महीनों के सन्नाटे के बाद 19 अक्टूबर को एक बार फिर शर्तों के साथ हाई स्कूलों में घंटी बजी. पैरेंट्स की अनुमति के साथ बच्चे स्कूल पहुंचे. प्रेयर हुई और ड्रेस के साथ मास्क पहने हुए छात्रों की चहल-पहल से स्कूल गुलजार हो उठे. यूपी के तमाम स्कूलों के साथ मदरसों को भी सोमवार से खोल दिया गया. कोविड-19 के प्रोटोकॉल के तहत स्कूलों में सोशल डिस्टेसिंग सुनिश्चित की गई और सैनिटाइजर की व्यवस्था की गई. टीचरों का कहना था कि ऑनलाइन पढ़ाई से ज्यादा बेहतर रेग्युलर क्लास हैं. इसका फर्क अब छात्रों की पढ़ाई पर दिखेगा.
पहले दिन कम रही अटेंडेंस
लखनऊ:पहले दिन शिक्षा विभाग की अपर मुख्य सचिव (माध्यमिक शिक्षा) आराधना शुक्ला और डीआईओएस मुकेश सिंह ने जिले के स्कूलों का दौरा किया. मुकेश सिंह ने दावा किया पहले दिन करीब 700 से अधिक स्कूलों का निरीक्षण किया, जहां कोविड-19 के प्रोटोकॉल का पालन होता मिला. पहले दिन बच्चों की उपस्थिति काफी कम रही. कई स्कूलों में क्लासरूम लगभग खाली ही नजर आ रहे थे. वहीं लखनऊ पब्लिक स्कूल और मिलेनियम स्कूल तो खुला, लेकिन कोई भी छात्र-छात्रा स्कूल नहीं पहुंचा.
मदरसों में की गई मास्क की व्यवस्था
दारुल उलूम फरंगी महल मदरसे के प्रवक्ता मौलाना सुफियान निज़ामी ने बताया कि मदरसे में पूरी तरह से कोविड-19 के प्रोटोकॉल को फॉलो किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि सभी बच्चों को उनके अभिभावकों की इजाज़त के बाद ही आने की अनुमति दी गई. गेट पर ही सैनिटाइजर रखा गया. जिन बच्चों के पास मास्क नहीं है, उनके लिए मास्क की व्यवस्था भी की गई है. मौलाना ने कहा कि हालांकि इस मदरसे में पिछले दो महीनों से ऑनलाइन तालीम दी जा रही थी, लेकिन आज जब दोबारा से सामने बैठकर तालीम दी जा रही है, तो उसमें बच्चों को ज़्यादा समझने और पढ़ने में फर्क नजर आ रहा है.
सैनिटाइजिंग टनल हुआ बंद
लखनऊ के अर्जुनगंज स्थित आइडियल इंटर कॉलेज में सैनिटाइजिंग टनल लगाया गया था, लेकिन वह पहले दिन ही बेकाम का साबित हुआ. स्कूल की प्रिंसिपल सुधा सिंह ने भरोसा दिया कि बच्चों की सुरक्षा के लिए अन्य व्यवस्था संतोषजनक है. उन्होंने कहा कि पहली पाली में कक्षा 9 और 10वीं की क्लास चल रही है. कक्षाओं में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जा रहा है. हर सीट पर एक बच्चे को बैठाया गया है. अभिभावकों से सहमति पत्र लेने के बाद ही बच्चों को बुलाया गया है. एक कक्षा में केवल 50 प्रतिशत ही विद्यार्थी बुलाए जाएंगे. इस स्कूल में दो पारियों में क्लासेज चलेंगी. सुबह 8:50 से दोपहर 11:50 तक कक्षा 9 व 10 और 12:20 से 3:20 तक कक्षा 11 व 12 की कक्षाएं चलेंगी.