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कोरोना के डर से निजी स्कूलों में लग रहे ताले

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Published : Mar 19, 2021, 11:24 AM IST

उत्तर प्रदेश में कोरोना के एक साल पूरा हो जाने के बाद भी स्कूली शिक्षा अभी तक उभर नहीं सका है. सरकार ने भले ही स्कूल खोलने की अनुमति दे दी हो, लेकिन अभी तक कई संस्थान कोरोना वायरस के प्रकोप से बाहर नहीं निकल पाए हैं.

विद्यालय.
विद्यालय.

लखनऊ: कोरोना संक्रमण ने स्कूली शिक्षा को बहुत बड़ा झटका दिया है. सरकार ने भले ही स्कूल खोलने की अनुमति दे दी है, लेकिन कई संस्थान अभी भी उभर नहीं पा रहे हैं. आलम यह है कि बड़ी संख्या में निजी स्कूल बंद होने की कगार पर पहुंच गए हैं.

जानकारी देते जिला विद्यालय निरीक्षक डॉ. मुकेश कुमार सिंह.

प्री स्कूल एसोसिएशन का यह है दावा
लखनऊ प्री स्कूल एसोसिएशन के दावे पर भरोसा करें तो करीब 40% प्री स्कूल या तो बंद हो गए हैं या बंदी की कगार पर पहुंच गए हैं. सिर्फ राजधानी लखनऊ में प्री स्कूलों की संख्या 500 से ज्यादा है. शहरी क्षेत्र में स्कूलों का संचालन जैसे-तैसे किया जा रहा है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में स्थितियां और भी खराब हुई है. प्री स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष अनूप अग्रवाल ने बताया कि ज्यादातर प्री स्कूल किराए की प्रॉपर्टी पर संचालित किए जा रहे हैं. कोरोना संक्रमण के बाद स्कूल बंद होने और फीस न आने के कारण बंद करना पड़ा है.

अन्य स्कूलों की भी स्थिति ठीक नहीं
12वीं तक के कई स्कूलों की भी स्थिति अच्छी नहीं है. अनऐडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल का कहना है कि स्कूलों की स्थितियां बेहद खराब हो चली है. राजधानी में करीब 15 से 20 स्कूल बंद हुए हैं. इतने ही बंद होने की स्थिति पर खड़े हुए हैं. उनकी मानें तो अभिभावकों की ओर से सहयोग न मिल पाने के कारण यह स्थितियां सामने आई हैं. उनका कहना है कि सरकार द्वारा दी गई राहत के बावजूद कई अभिभावकों ने स्कूलों को फीस नहीं दी है. इसका सीधा असर वहां काम करने वाले शिक्षक कर्मचारी से लेकर स्कूल संचालकों पर पड़ा है.

प्राथमिकता यही की बंद न हो स्कूल
इस खराब स्थिति के कारण सबसे ज्यादा नुकसान यहां पढ़ने वाले छात्रों को उठाना पड़ेगा. अप्रैल से नए सत्र की शुरुआत हो रही है. ऐसे में जो स्कूल बंद हो गए हैं. उनके बच्चों का समायोजन पास के दूसरे स्कूल में किया जाएगा. जिला विद्यालय निरीक्षक डॉ मुकेश कुमार सिंह ने बताया कि उनकी प्राथमिकता रहेगी की स्कूलों का संचालन बंद ना हो. इसके बावजूद अगर कोई खराब स्थिति सामने आती है तो बच्चों का समायोजन निकट के दूसरे मान्यता प्राप्त स्कूल में कराया जाएगा.

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