उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

'उत्तर प्रदेश विकास समीक्षा' में जुटे इंग्लैंड और यूएस सहित दुनिया भर के विद्वान - lucknow yojna bhavam

उत्तर प्रदेश में हो रहे विकास कार्यों की समीक्षा के लिए राजधानी लखनऊ में 'उत्तर प्रदेश विकास समीक्षा' कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसमें विद्वानों ने अपने-अपने विचार रखे.

उत्तर प्रदेश विकास समीक्षा
उत्तर प्रदेश विकास समीक्षा

By

Published : Aug 25, 2022, 6:53 AM IST

Updated : Aug 25, 2022, 7:01 AM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में हो रहे विकास कार्यों की समीक्षा के लिए दुनियाभर से जुटे विद्वानों ने राजधानी में बुधवार को गहन मंथन किया. योजना भवन के सेमिनार हॉल में आयोजित 'उत्तर प्रदेश विकास समीक्षा' के पहले विचार-मंथन में जुटे विद्वानों ने अपने-अपने विचार बेबाकी के साथ रखे. इस दौरान प्रख्यात अर्थशास्त्री और सेंटर फॉर डेवलपमेंट स्टडीज, यूनिवर्सिटी ऑफ बाथ, इंग्लैंड के प्रो. संतोष महरोत्रा और ब्रूकिंग इंस्टीट्यूशन, वाशिंगटन डीसी यूएसए की डॉ. शमिका रवि ने भी अपने विचार रखे.

गोविंद वल्लभ पंत सोशल साइंस इंस्टीट्यूट (जीबीपीएसएसआई) के निदेशक प्रो. बद्री नारायण ने उत्तर प्रदेश विकास समीक्षा रिपोर्ट के बारे में जानकारी दी. उन्होंने रिपोर्ट लेखन के लिए रोड मैप पर भी प्रकाश डाला. विचार-मंथन सत्र का उद्घाटन विज्ञान और प्रौद्योगिकी के सचिव आलोक कुमार ने किया. उन्होंने पिछले पांच वर्ष में विभिन्न संकेतकों पर उत्तर प्रदेश के प्रदर्शन के बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने नीति आयोग की नवीनतम रिपोर्ट में महत्वाकांक्षी जिलों के प्रदर्शन पर भी प्रकाश डाला.

बेरोजगारी से निपटने के लिए स्टार्टअप ही समाधान
प्रख्यात अर्थशास्त्री और शिक्षाविद प्रो. संतोष मेहरोत्रा ने उत्तर प्रदेश में मानव विकास की स्थिति के बारे में बात की. वहीं, प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की सदस्य डॉ. शमिका रवि ने बेरोजगारी, गरीबी और निजी और सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्रों की स्थिरता के बारे में बात की. उन्होंने सुझाव दिया कि राज्य में बेरोजगारी से निपटने के लिए स्किलिंग और स्टार्टअप समाधान हैं.

समानता के सिद्धांतों पर आधारित हैं सरकारी स्कूल
प्रो. प्रदीप भार्गव ने उत्तर प्रदेश के व्यापक आर्थिक आंकड़ों के बारे में बताया. प्रख्यात शिक्षाविद प्रो. अशोक पंकज ने उत्तर प्रदेश में शिक्षा, इसकी उपलब्धियों और चुनौतियों के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूल सार्वभौमिक और समानता के सिद्धांतों पर आधारित हैं.

ऑनलाइन भी जुड़े कई प्रोफेसर और रिसर्चर्स
कुछ प्रोफेसर और शोधकर्ता ऑनलाइन शामिल हुए जैसे डॉ श्रीनिवास गोली, डॉ अरविंद पांडे और डॉ पार्थ पी साहू. बैठक में जीबीपीएसएसआई संकाय की डॉ. अर्चना सिंह, डॉ. पूजा पाल, डॉ. रेखा गुप्ता, डॉ. माणिक कुमार और डॉ. सुभाष कुमार ने भाग लिया. रिपोर्ट के विभिन्न विषयों जैसे मैक्रो-इकोनॉमी, शिक्षा, मानव विकास, स्वास्थ्य, लिंग, आवास, पानी, और स्वच्छता पर मंथन केन्द्रित रहा. इसके अलावा राजनीतिक वैज्ञानिक और कार्यकर्ता डॉ. स्वदेश सिंह ने प्रो एके पांडे और डॉ शमिका रवि के साथ गोलमेज चर्चा में भाग लिया.

90 लाख एमएसएमई से ढाई करोड़ रोजगार उत्पन्न हुए
समापन भाषण देते हुए अतिरिक्त मुख्य सचिव नवनीत सहगल ने पिछले साढ़े पांच साल में उत्तर प्रदेश सरकार की कुछ प्रमुख उपलब्धियों पर प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में लगभग 90 लाख एमएसएमई इकाइयों को स्थापित किया गया. इसमें करीब 4 लाख करोड़ का निवेश किया गया. इस दौरान लगभग 2.5 करोड़ रोजगार उत्पन्न हुआ.

विचार-मंथन सत्र का समापन डॉ. आनंद मिश्रा, निदेशक योजना विभाग ने धन्यवाद प्रस्ताव देकर किया. आयोजन जीबी पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान (जीबीपीएसएसआई) द्वारा योजना विभाग और सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के सहयोग से किया गया. बैठक में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के प्रख्यात प्रोफेसरों और विद्वानों ने भाग लिया.

उत्तर प्रदेश के प्लानिंग डिपार्टमेंट के सचिव आलोक कुमार ने बताया कि गोविंद बल्लभ पंत इंस्टीट्यूट में यूपी डेवलपमेंट रिपोर्ट का आयोजन किया गया. इसमें कई इकोनॉमिस्ट और अलग-अलग क्षेत्र के एक्सपर्ट ने हिस्सा लिया. इसमें हमारी प्लानिंग डिपार्टमेंट की टीम और अन्य डिपार्टमेंट की टीमें भी हिस्सा ले रही हैं. पूरा आईडिया यह है कि पिछले पांच-छह सालों में हमने क्या ग्रोथ की है? और हमारी क्या स्ट्रेटजी रही है? उसको हम डॉक्यूमेंट कर सकें और आगे के 5 सालों के लिए हमारी क्या स्ट्रेटजी हो? क्या हमने सही किया है? क्या सुधार हम कर सकते हैं? उसको हम लोग समझ सकें और उसमें जो एक्सपर्ट और एकेडमीशियन हैं उनको आज बुलाया गया है. उनसे विचार-विमर्श किया किया गया है.

यह भी पढ़ें:सीएम योगी ने श्रीराम जन्मभूमि कारिडोर की समीक्षा की, कार्यों में तेजी लाने के दिए निर्देश

इसमें स्टेट एंड अकेडमी टर्म का इस्तेमाल किया गया है. इसका मतलब यह है कि हमारी यूनिवर्सिटी में जो एक्सपर्ट हैं उनका जो पब्लिक पॉलिसी फॉर्मूलेशन है उसमें बहुत ज्यादा हम लोगों ने यूज नहीं किया है. उस गैप को हम लोग ब्रिज करना चाहते हैं और प्रैक्टिकली एकेडमिक में जो रिसर्च हो रही है उसको हम फील्ड में अप्लाई कर सकें. अब प्रदेशभर की सभी टेक्निकल इंस्टिट्यूट को एनआईआरएफ में रजिस्टर्ड होना होगा, जिससे कि वह जान सकें कि वे अभी कहां पर स्टैंड कर रहे हैं. जो एनआईआरएफ रैंकिंग है वह एक स्टैंडर्ड रैंकिंग है जो मिनिस्ट्री ऑफ एचआरडी द्वारा जारी की जाती है.

Last Updated : Aug 25, 2022, 7:01 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details