लखनऊ: राजधानी में एलडीए की पचास संपत्तियों में हेराफेरी के मामले की साइबर जांच अभी किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है. हालांकि साइबर टीम इस मामले से जुड़े एक-एक अधिकारी से हर पहलू पर परीक्षण कर रही है. साइबर सेल की टीम इन प्लॉटों के सभी खरीदार और उन्हें बेचने वालों तक पहुंचने की तैयारी में है. माना जा रहा है कि पूरे तथ्यों के साथ फाइनल रिपोर्ट सौंपी जाएगी. फिलहाल, कंप्यूटर सेल के इंचार्ज की आईडी और पासवर्ड का इस्तेमाल कर हुए फजीर्वाड़े में विभाग के ही एक आला अफसर शक के दायरे में हैं. बताया जा रहा है कि टीम गायब हुई संपत्तियों के खरीदारों से भी संपर्क कर सकती है.
बिना ओटीपी डेटा एंट्री असंभव
पूरे मामले की जांच एसीपी विवेक रंजन राय कर रहे हैं. उनके मुताबिक कंप्यूटर में डेटा एंट्री करने से लेकर उसे अपडेट करने या डिलीट करने से पहले आपरेटर के मोबाइल पर ओटीपी आता है. अपनी आईडी और पासवर्ड के अलावा यह ओटीपी डाले बिना कोई भी डेटा एंट्री असंभव है. अगर यह मान लिया जाए कि आईडी और पासवर्ड चोरी हो गया तो फजीर्वाड़ा करने वाले के पास इंचार्ज के मोबाइल पर गया कोड कैसे पहुंच गया? इस बात की भी आशंका जाहिर की जा रही है कि कंप्यूटर सेल में इस्तेमाल होने वाले सॉफ्टवेयर के जानकार ने या तो यह कोड इंचार्ज के मोबाइल पर जाने ही नहीं दिया या फिर ऐसी तकनीक अपनायी जिससे मोबाइल पर गया कोड उसे भी मिल गया.
खरीदारों तक पहुंच सकती है संपत्तियों में घोटाले की जांच - cyber inquiry about property scam of LDA
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एलडीए की पचास संपत्तियों में हेराफेरी के मामले की साइबर जांच अभी किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है. हालांकि साइबर टीम इस मामले से जुड़े एक-एक अधिकारी से हर पहलू पर परीक्षण कर रही है. माना जा रहा है कि मामले में संपत्ति के खरीदारों से भी बातचीत हो सकती है.
बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की आशंका
अभी तक की पूछताछ के बाद जांच कमेटी इस पूरे मामले में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की आशंका जता रही है. जांच अधिकारी के मुताबिक जितनी फाइलों में गड़बड़ी हुई है, उन सभी की फाइलें गायब हैं. यही नहीं, रजिस्टर और अन्य जगहों से भी इन प्लॉटों के रिकॉर्ड नहीं मिल रहे हैं. ऐसे में कंप्यूटर सेल में दर्ज खरीददार और विक्रेताओं तक पहुंचने की कोशिश हो रही है.
रजिस्ट्री आफिस से मांगे गए रिकॉर्ड
सूत्र बताते हैं कि रजिस्ट्री आफिस से भी रिकॉर्ड मांगे गए हैं. उसमें एलडीए की तरफ से बतौर गवाह भेजे गए कर्मचारियों की पहचान हो सकेगी. अब साइबर सेल की टीम इन प्लॉटों के सभी खरीदार और उन्हें बेचने वालों तक पहुंचने की तैयारी में है.