लखनऊ : रिटायर्ड आईएएस अधिकारी और लखनऊ विकास प्राधिकरण के पूर्व उपाध्यक्ष सत्येंद्र कुमार सिंह ईडी जांच में तो घिर ही गए हैं, साथ ही उनके खाते में एक और बड़ा घोटाला भी आ गया है. खुलासा हुआ है कि उनके समय में लखनऊ विकास प्राधिकरण ने एक बिल्डर के नाम से गोमती नदी की जमीन समायोजित की थी. नियम के अनुसार बिल्डर को जितनी जमीन समायोजित की जानी थी, उसकी जगह 10 फीसदी जमीन अधिक समायोजित करके रजिस्ट्री भी करा दी गई थी. तहसील की जांच में अब यह खुलासा हुआ है कि करीब 50 करोड़ की अतिरिक्त जमीन बिल्डर के नाम की गई है.
गौरतलब है कि लखनऊ विकास प्राधिकरण में पूर्व उपाध्यक्ष सत्येंद्र कुमार सिंह के कार्यकाल में 6070 वर्ग मीटर जमीन की जगह 6464 वर्ग मीटर भूमि का समायोजन किया गया था. यह जमीन जांच के बाद गोमती के जलमग्न इलाके की पाई गई है. एलडीए के तत्कालीन अधिकारियों की मिलीभगत से 50 करोड़ रुपये की जमीन घोटाला किए जाने की आशंका है. माना जा रहा है कि यह तत्कालीन वीसी सत्येंद्र सिंह का कारनामा है. एलडीए अफसरों और निजी बिल्डर की साठगांठ से यह बड़ा खेल हुआ है. नदी की जमीन बिना जमीन अधिग्रहण किए ही समायोजित की गई है. यह गोमती नदी के अंदर की जमीन है.
यह भी पढ़ें-लखनऊ: हनुमान मंदिर के अवैध निर्माण पर चला नगर निगम का बुलडोजर