लखनऊ:श्रावण मास में भगवान शिव की आराधना का विशेष महत्व है.भगवान शिव की पूजा में कई सामग्रियों, फल-फूल इत्यादि का प्रयोग किया जाता है.महादेव शिव शंभू की पूजा के दौरान भक्त उनका जलाभिषेक कर बिल्वपत्र या बेलपत्र चढ़ाते हैं. भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाना बेहद शुभ और फलदायी माना जाता है. माना जाता है कि बेलपत्र शिवजी को चढ़ाने से दरिद्रता दूर होती है और व्यक्ति सौभाग्यशाली बनता है. भगवान शिव को बेलपत्र क्यों चढ़ाया जाता है, इसके पीछे कई पौराणिक मान्यताएं हैं. एक मान्यता समुद्र मंथन से भी जुड़ी है.
क्या है पौराणिक मान्यता
पौराणिक मान्यता के मुताबिक. जब भगवान शिव ने जब समुद्र मंथन से निकले हलाहल विष का पान किया तो उनके गले यानी कंठ और सिर में जलन होने लगी. इस जलन को दूर करने के लिए उनका जलाभिषेक किया गया और उनके मस्तक को ठंडक प्रदान करने के लिए उन्हें बेलपत्र चढ़ाया गया. यही वजह है कि भगवान नीलकंठ को बेलपत्र चढ़ाने का विशेष महत्व है.
एक अन्य मान्यता के अनुसार, एक डाकू था जो अपने परिवार का पालन-पोषण करने के लिए लोगों को लूटता था. एक बार सावन माह में वह राहगीरों को लूटने के उद्देश्य से जंगल में गया और एक वृक्ष पर चढ़कर बैठ गया. जिस पेड़ पर वह डाकू छिपा था, वह बेल का पेड़ था. बहुत समय बीत जाने पर भी उसे कोई शिकार नहीं मिला. जिससे परेशान होकर वह पेड़ के पत्ते तोड़कर नीचे फेंकने लगा. उसी पेड़ के नीचे एक शिवलिंग स्थापित था. जो पत्ते वह डाकू तोडकर नीचे फेंक रहा था, वह अनजाने में शिवलिंग पर ही गिर रहे थे. लगातार बेल के पत्ते शिवलिंग पर गिरने से भगवान शिव प्रसन्न हुए और अचानक डाकू के सामने प्रकट हो गए और उससे वरदान मांगने को कहा. उस दिन से बिल्वपत्र का महत्व और बढ़ गया.