लखनऊ : राजधानी लखनऊ सहित प्रदेश के 25 जिलों में सामने आए पेंशन को घोटाले एनपीएस (नई पेंशन स्कीम) के दो आरोपियों में से एक आरोपी सर्विस निगम जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय में काफी लंबे समय से तैनात रहा है. अपनी तैनाती के दौरान सर्वेश निगम में न केवल कर्मचारियों के पेंशन से जुड़े कामों को देखा, बल्कि वह विभाग के कई मलाईदार कामों को भी देख चुका है. जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय में तैनात सर्वेश निगम के पास करीब एक दर्जन से अधिक मलाईदार काम थे. पिछले दिनों गैर जनपदों से लखनऊ जनपद में आए 105 ट्रांसफर पोस्टिंग की पत्रावलियां भी उसी के पास थे. खास बात यह है कि सर्वेश निगम बीते वर्षों में आए सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों का चहेता रहा है. करीब एक दशक से अधिक समय से लखनऊ के जिला विद्यालय में से कार्यालय में तैनात सर्वेश निगम कुछ दिनों के लिए इधर-उधर गया, लेकिन जल्द ही वह फिर लौटकर यहां अटैच कर कर वापस आ गया.
पद से इतर दी गई जिम्मेदारी : सूत्रों का कहना है कि सर्वेश निगम आंग्ला विद्यालयों के लिए बाबू नियुक्त था, लेकिन कार्य बंटवारे में उसे माध्यमिक का पटल दिया गया. इसके बाद उसे करीब 100 एडेड विद्यालयों में शिक्षकों और प्रिंसिपलों के ट्रांसफर नियुक्ति के काम मिल गया. यही नहीं सैकड़ों शिक्षकों के चयन वेतनमान, प्रमोशन वेतनमान, पदोन्नति, निलंबन, विद्यालय प्रबंधन तंत्र का विवाद गठन या उससे जुड़े सभी कार्य, कोर्ट कचहरी के मामले भी सर्वेश निगम के पास ही आ गए थे. जून 2022 में हुए कार्य बंटवारे में भी उसको यह सभी काम सौंप दिया गया था. विभागीय कर्मचारियों का मानना है कि वह सभी जिला विद्यालय निरीक्षक का खास रहा है. विभाग के कर्मचारियों के बीच में चर्चा यह है कि वह बीमा एजेंट है का काम भी करता है. जिसमें बीमा करवाने के लिए शिक्षकों और प्रिंसिपल को पर बाकायदा दबाव बनाया जाता था. इतना नहीं उसके पास शिक्षकों के वेतन बिल का कार्य भी रहा है. तब इसकी शिकायत लेखा अधिकारी द्वारा की गई थी. इसके बाद कार्य बंटवारे में उसे यह काम लेकर महत्वपूर्ण काम दे दिए गए थे.
यूजर आईडी और पासवर्ड दे देते थे अधिकारी :राजधानी लखनऊ में जिला विद्यालय निरीक्षक रहे एक अधिकारी ने बताया कि रोजमर्रा की तमाम जानकारियां चाहे वह बोर्ड परीक्षा हो या पेंशन अथवा शासन से संबंधित पत्र भेजने हो हर काम को अपने स्तर से भेज पाना मुश्किल होता है. ऐसे में पटल पर वर्षों से कम कर रहे बाबू ऑन पर भरोसा का यूजर आईडी और पासवर्ड दी जाती है. ऐसे में यदि वह गड़बड़ी करते हैं तो भुगतना भी उसको ही पड़ेगा. ऐसे में विभाग के कई अधिकारियों ने इस पर भरोसा कर अपना यूजर आईडी और पासवर्ड तक इसको दे रखा था. वहीं इस मामले पर विभाग के सूत्रों का कहना है कि बिना जिला विद्यालय निरीक्षक के सहमति के बाबू इस तरह के फर्जी वाले को नहीं कर सकता है. कर्मचारी व शिक्षकों के एनपीएस के तहत फाइल से लेकर डाटा बेस के लिए जिला विद्यालय निरीक्षक ही उत्तरदाई होते हैं. विभाग के वरिष्ठ बाबू से लेकर डीआईओएस तक के कई सेवानिवृत अधिकारी बताते हैं कि बिना डिवाइस के सहमति के निजी संस्थानों में निवेश बाबू अपने स्तर से नहीं कर सकता. ऐसा नहीं हो सकता कि इतनी बड़ी रकम निवेश करने की जानकारी जिला विद्यालय निरीक्षक को ना रही हो.