लखनऊः आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रभारी और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने जल शक्ति मिशन में हजारों करोड़ रुपये के घोटाले की सीबीआई जांच की मांग की है. इस मामले में उन्होंने प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री और सीबीआई निदेशक को चिट्ठी भेजी है. शनिवार को जारी एक बयान में संजय सिंह ने इस आशय की जानकारी दी.
घोटला में मंत्री की मिली भगत
संजय सिंह ने कहा कि शिकायती पत्र के जरिये योगी सरकार में प्रदेश में जल जीवन मिशन के नाम पर 30 से 35 हजार करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार की जानकारी प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री से लेकर सीबीआई के निदेशक को भेजी है. इसमें बताया है कि हर घर में स्वच्छ जल पहुंचाने की एक लाख 20 हजार करोड़ रुपये की इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत उत्तर प्रदेश में प्रदेश सरकार के जल संसाधन मंत्री डॉक्टर महेंद्र प्रताप सिंह, मुख्य सचिव अनुराग श्रीवास्तव, मुख्य अभियंता आलोक कुमार ने मिलजुलकर कर सरकारी धन की बंदरबांट करने की साजिश रची. इसके साथ ही उन्होंने भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी दागी कंपनी रश्मि मेटलिक्स को तमाम नियमों को दरकिनार करते हुए ठेका दे दिया. कई इंपैनल्ड ख्याति प्राप्त कंपनियों के बावजूद आरोपों से घिरी रश्मि मेटलिक्स से पाइपलाइन लेने के लिए पत्र लिखा गया.
प्रधानमंत्री को भेजे घोटाले के साक्ष्य
संजय सिंह ने एसडीएम झांसी की रिपोर्ट सहित कई साक्ष्य पेश करते हुए इस घोटाले की सीबीआई जांच की मांग की है. संजय सिंह ने कहा कि यूपी में जलापूर्ति के लिए केंद्र सरकार ने 1,20,000 करोड़ रुपये की योजना बनाई तो योगी सरकार ने एक नए घोटाले की योजना बना ली. उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने जल जीवन मिशन में 30 से 35 हजार करोड़ का घोटाला करने काम किया है.
सीएम के करीबी मंत्री की देखरेख में हुआ भ्रष्टाचार का खेल
संजय सिंह ने शिकायती पत्र में लिखा है कि भ्रष्टाचार का यह पूरा खेल आदित्यनाथ के सबसे करीबी मंत्री डॉ. महेंद्र सिंंह की देखरेख में खेला जा रहा है. प्रमुख सचिव अनुराग श्रीवास्तव, चीफ इंजीनियर आलोक कुमार सिन्हा जैसे अफसर इसमें शामिल हैं.
ब्लैक लिस्टेड कंपनी को दिया गया काम
यह भ्रष्टाचार हो कैसे रहा है, इसकी बिंंदुवार जानकारी देते हुए संजय सिंह ने शिकायती पत्र में बताया कि रश्मि मेटलिक्स नाम की एक कंपनी को हजारों करोड़ रुपये की पाइप सप्लाई का ठेका दिया गया है. उस कंपनी को ओड़िशा, मप्र, झारखंड, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, जम्मू कश्मीर समेत कई राज्यों की सरकारों ने घटिया पाइप और भ्रष्टाचार के कारण ब्लैकलिस्टेड किया है, इसके साथ ही सेना ने भी घटिया पाइप के कारण इस कंपनी को रिजेक्ट किया है.
कंपनी की पाइप को बताया घटिया, फिर भी दिया ठेका
संजय सिंह ने शिकायती पत्र में कई अफसरों की नकारात्मक रिपोर्ट के बाद भी दागी कंपनी को ठेका देने का आरोप लगाया है. उन्होंने जल जीवन मिशन के एग्जीक्युटिव डायरेक्टर अखंड प्रताप सिंह द्वारा झांसी के एडीएम को कंपनी के पाइप की गुणवत्ता जांचने के आदेश और 28 जून को एडीएम झांसी द्वारा रश्मि मेटलिक्स के पाइप को घटिया बताते हुए इन्हें इस्तेमाल न करने की रिपोर्ट देने का जिक्र भी अपने शिकायती पत्र में किया है. मिशन के यूनिट क्वार्डिनेटर जीपी शुक्ला, परियोजना प्रबंधक महेश कुमार सहित विभिन्न एजेंसियों सहित पूर्व चीफ इंजीनियर आई के श्रीवास्तव की कंपनी के खिलाफ नकारात्मक रिपोर्ट हवाला भी इसमें दिया गया है. शिकायती पत्र में सेंट्रल इकोनामिक्स इंटेलिजेंस ब्यूरो ने इस कंपनी के बारे में रिपोर्ट का जिक्र करते हुए हजारों करोड़ कि भ्रष्टाचार पर संजय सिंह ने सवाल उठाया है.
संजय सिंंह ने शिकायती पत्र में कहा कि जो काम जल निगम पंद्रह सौ एक में कराता है, वही काम जल जीवन मिशन के तहत दो हजार एक सौ रुपये में हो रहा है. इनसे साफ है कि जल जीवन मिशन के नाम पर 35,40, 45 परसेंट रेट बढ़ाकर मनमाने ढंग से भ्रष्टाचार का खुला खेल खेला जा रहा है.
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थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन पर भी उठाए सवाल
संजय सिंंह ने परियोजना के थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन पर भी सवाल उठाए. बताया कि जो थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन केरल में लागत के 0.4, चेन्नई में 0.15 फीसदी में हुआ, वही यूपी में 1.33 फीसदी रकम खर्च करके कराया गया. परियोजना लागत में केंद्र के 50 फीसदी अंश के बाद राज्य के 50 फीसदी अंश में 10 फीसदी गांव का अंश भी शामिल है. लेकिन ग्राम पंंचायत को दरकिनार कर हजारोंं करोड़ की पाइप सप्लाई का ठेका दे दिया गया.