लखनऊ :मैं आर्थिक रूप से कमजोर हूं. घर पर मेरे कोई नहीं है. छोटे थे उसी समय माता-पिता दोनों ही गुजर गए. ऐसे में मामा-मामी ने मुझे पाल पोस कर बड़ा किया, लेकिन वह भी इतने सक्षम नहीं है कि मेरी शादी का खर्चा उठा पाते. इस लिहाज से सामूहिक विवाह करना ही मुझे उचित लगा. इसमें कोई बुरी बात नहीं है कि मैं सामूहिक विवाह कर रहा हूं. एक आम विवाह में भी पंडित होते हैं और विधि विधान के साथ शादी होती है. उसी तरह से सामूहिक विवाह में भी पंडित जी पूरी विधि विधान के साथ शादी संपन्न कराते हैं. इसलिए मुझे कोई खास अंतर नहीं समझ में आया, लेकिन मैंने कभी सोचा नहीं था कि मैं सामूहिक विवाह करूंगा.
यह बातें सामूहिक विवाह कार्यक्रम में शादी करने वाले राजा ने ईटीवी भारत से साझा कीं. राजा ने कहा कि सामूहिक विवाह करने के विषय में नहीं सोचा था. लखनऊ डालीगंज व्यापारी संघ की ओर से आयोजित हो रहे सामूहिक विवाह कार्यक्रम के बारे में जब पता चला कि लगा कि सामूहिक विवाह कर लेना ही उचित है. क्योंकि शादी तो फिक्स थी, लेकिन हम शादी करने में सक्षम नहीं थे. जिस कारण शादी महीनों से पेंडिंग थी. इसके लिए मैं लखनऊ डालीगंज व्यापारी संघ का शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने हमारी जिम्मेदारी उठाई और हमारी शादी कराने के लिए आगे आए. राजा की वधू सीमा ने कहा कि इस शादी से खुश है. यहां पर वह तमाम सारी व्यवस्थाएं की गई हैं जो एक आम शादी में होती हैं. यहां तक कि गृहस्थी का सामान भी यहां से दिया जा रहा है. जिसकी किसी को उम्मीद तो नहीं थी, लेकिन इतना कुछ पाकर बहुत अच्छा लग रहा है. हमारी शादी पहले से ही फिक्स थी, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण शादी नहीं हो पा रही थी.