लखनऊ : समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव का प्रत्याशी (Samajwadi Party nominated Dimple Yadav) बनाया गया है. सबसे खास बात यह है कि डिंपल यादव को मैनपुरी सीट बचाना किसी बड़ी मुसीबत से कम नहीं है. दरअसल, डिंपल यादव पहले भी अपने ही गढ़ से चुनाव हार चुकी हैं और उन्हें सपा की परंपरागत सीटों में करारी हार का सामना करना पड़ा है, वहीं इस बार भारतीय जनता पार्टी भी विरासत की सियासत को समाप्त करने के लिए फुल प्रूफ प्लान तैयार कर रही है. 2019 में जब मैनपुरी से मुलायम सिंह यादव चुनाव जीते थे, उस समय बहुजन समाज पार्टी से गठबंधन था और कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार नहीं उतारा था. इस बार बसपा से गठबंधन नहीं है. ऐसे में भारतीय जनता पार्टी इस सीट को जीतने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहेगी.
सबसे खास बात यह है कि जब 2019 के लोकसभा चुनाव में मुलायम सिंह यादव चुनाव जीते थे, उस समय गठबंधन होने के चलते बसपा का पूरा वोट मुलायम सिंह यादव को मिला था. इससे उनकी जीत आसान हो गई थी. कह सकते हैं कि गठबंधन की लाठी के सहारे मुलायम सिंह यादव चुनाव जीतने में सफल हुए थे और मैनपुरी उनकी परंपरागत सीट भी थी. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने आपसी अंडरस्टैंडिंग के चलते मुलायम सिंह यादव के खिलाफ कांग्रेस पार्टी का प्रत्याशी नहीं उतारा था. अब इस बार क्या स्थिति रहेगी इस पर आने वाले कुछ दिनों में स्थिति साफ होगी.
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव के बारे में समाजवादी पार्टी और राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि वह दो बार चुनाव हार चुकी हैं और उन सीटों से चुनाव हारी हैं जहां पर समाजवादी पार्टी का ही गढ़ रहा है. 2009 के लोकसभा चुनाव में फिरोजाबाद से वह पहली बार चुनाव मैदान में थीं, लेकिन कांग्रेस के राज बब्बर से वह चुनाव हार गई थीं. इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में वह कन्नौज सीट से हार का स्वाद चख चुकी हैं, जबकि कन्नौज और फिरोजाबाद भी समाजवादी पार्टी के गढ़ माने जाते हैं. ऐसे में अब जब मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद उपचुनाव हो रहा है और डिंपल यादव चुनाव मैदान में हैं, तो उनकी राह बहुत आसान भी नहीं है. भले ही मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद सहानुभूति मुलायम परिवार के साथ हो, लेकिन देखना दिलचस्प होगा कि बहुजन समाज पार्टी इस चुनाव में क्या करती है.
जानकार कहते हैं कि बहुजन समाज पार्टी का वोट अगर भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में ट्रांसफर हुआ जो 2022 के विधानसभा चुनाव में तमाम विधानसभा क्षेत्रों में देखने को मिला है. ऐसे में डिंपल यादव की चुनावी राह काफी मुसीबत वाली भी हो सकती है. बीजेपी के प्रदेश नेतृत्व से लेकर केंद्रीय नेतृत्व तक मैनपुरी सीट पर दमदार प्रत्याशी उतारने को लेकर मंथन कर रहा है. पार्टी की कोर ग्रुप की बैठक में यह चर्चा हो रही है कि वहां से किसी ऐसे उम्मीदवार को चुनाव लड़ाया जाए जो विरासत की सियासत को समाप्त करने में भारतीय जनता पार्टी की रणनीति को आगे बढ़ाने का काम करे. कुछ लोग अपर्णा यादव को चुनाव लड़ाने को लेकर अटकलें लगा रहे हैं. डिंपल यादव के सामने अपर्णा यादव बीजेपी की मजबूत दावेदार नहीं साबित हो सकेंगी. भारतीय जनता पार्टी यहां पर शाक्य बिरादरी से आने वाले किसी व्यक्ति को चुनाव लड़ा सकती है. इससे पहले मैनपुरी में चुनाव लड़ने वाले पूर्व सांसद प्रेम सिंह शाक्य को भी चुनाव लड़ाने पर पार्टी मंथन कर रही है, इसके अलावा क्षत्रिय बिरादरी से भी चुनाव लड़ाकर भाजपा चुनाव को दिलचस्प बना सकती है.