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अखिलेश ने मायावती के वोटबैंक में सेंध लगाने की बनाई रणनीति, जानिए क्या है प्लान....

उत्तर प्रदेश की सियासत में पिछड़े अति पिछड़े और अल्पसंख्यकों को लेकर राजनीति करने वाली समाजवादी पार्टी ने विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election 2022) को लेकर एक बड़ा मास्टर स्ट्रोक चला है. जानिए दलितों को जोड़ने के लिए अखिलेश यादव ने क्या योजना बनाई है?

सपा प्रवक्ता फखरुल हसन चांद.
सपा प्रवक्ता फखरुल हसन चांद.

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Published : Oct 19, 2021, 9:54 PM IST

लखनऊ: यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election 2022) में दोबारा सत्ता की सियासी कुर्सी पर काबिज होने के लिए समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) हर स्तर पर अपनी तैयारियों को आगे बढ़ा रही है. एक तरफ जहां अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने विजय रथ यात्रा की शुरुआत की है. वहीं, समाजवादी पार्टी ने अब दलित वोट बैंक में सेंधमारी के लिए एक बड़ी योजना तैयार की है. समाजवादी पार्टी में दलितों को पार्टी से जोड़ने को लेकर पार्टी में फ्रंटल संगठन बनाया है. इस संगठन का नाम बाबा साहेब वाहिनी दिया गया है और इसके अध्यक्ष बसपा से सपा में आये मिठाई लाल भारती को बनाया गया है. दरअसल, अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश में दलितों के वोट बैंक की सियासत करने वाली बहुजन समाज पार्टी जिस प्रकार दलितों से दूर जा रही है, ऐसी स्थितियों का आकलन करते हुए दलित वोट बैंक को सहेजने के लिए यह बड़ा कदम उठाया है.

सपा प्रवक्ता फखरुल हसन चांद.

दलितों को लुभाने की कोशिश
उत्तर प्रदेश में 20 से 21 फीसद दलितों के वोट को पार्टी के पक्ष में लामबंद करने को लेकर समाजवादी पार्टी ने बहुजन समाज पार्टी के वरिष्ठ नेता रहे मिठाई लाल भारती को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया है. पूर्वांचल में अच्छी पकड़ रखने वाले मिठाई लाल भारती के माध्यम से समाजवादी पार्टी दलितों को पार्टी से जोड़ने और सरकार बनने पर दलितों की भागीदारी सुनिश्चित करने को लेकर कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाह रही है. यही कारण है कि अंबेडकर जयंती पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बाबा साहेब वाहिनी के गठन का ऐलान किया था. अब समाजवादी पार्टी ने बाबासाहेब वाहिनी का गठन करके दलितों को लुभाने की कोशिश करना शुरू कर दिया है.

पहली बार बनाया दलितों के लिए संगठन
पिछड़ों, अति पिछड़ों और अल्पसंख्यकों को मुख्य रूप से लेकर चलने वाली समाजवादी पार्टी ने पहली बार दलितों को जोड़ने के लिए अलग से फ्रंटल संगठन बनाया है. ऐसे में बसपा से ही आने वाले व कई मंडलों के कोऑर्डिनेटर के रूप में जिम्मेदारी निभा चुके बलिया के रहने वाले मिठाई लाल भारती को यह बड़ी जिम्मेदारी दी गई है. जिससे मिठाई लाल भारती के माध्यम से समाजवादी पार्टी बहुजन समाज पार्टी के दलित वोट बैंक में सेंधमारी करें और काफी हद तक दलितों को पार्टी के साथ जोड़ने में सफल हो सके.

दलित अखिलेश यादव में अपना नेता देख रहेः फखरुल
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता फखरुल हसन चांद कहते हैं कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में अन्याय और अत्याचार की पराकाष्ठा हो गई है. दलित, अल्पसंख्यक या पिछड़ा वर्ग सरकार के अत्याचार अन्याय से अछूते नहीं हैं. उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी ने बाबासाहेब वाहिनी का गठन किया है. दलित आज अखिलेश यादव में अपना नेता के रूप में देख रहे हैं. उन्हें लगता है कि योगी सरकार को कोई हटा सकता है तो वह सिर्फ अखिलेश ही हैं. कोई हमें न्याय दिला सकता है, तो अखिलेश यादव दिला सकते हैं. 2022 में अखिलेश यादव की सरकार बनाने और दलितों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए बाबासाहेब वाहिनी का गठन किया गया है.

नए समीकरणों के चुनावी मैदान में उतरने की कोशिश कर रही सपा
वहीं, राजनीतिक विशलेषक प्रोफेसर रविकांत कहते हैं समाजवादी पार्टी ने बाबासाहेब वाहिनी बनाकर बहुत अच्छा कदम उठाया है, बहुत लोग इसकी प्रतीक्षा कर रहे थे. अखिलेश यादव ने कुछ समय पहले ट्वीट करके इसकी घोषणा भी की थी. समाजवादी पार्टी नए समीकरणों के साथ चुनाव मैदान में उतरने की कोशिश कर रही है. प्रो. रविकांत ने कहा कि मायावती के विचारधारा से कुछ अलग होने के चलते दलित बसपा से दूर हो रहा है.

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अखिलेश यादव ने बहुत संजीदगी के साथ काम किया है. मायावती के साथ गठबंधन तोड़ने के बाद भी उन्होंने कोई टिप्पणी नहीं की और बहुत विनम्रता से पेश आते रहे हैं. प्रोफेसर का कहना है कि इसका फायदा कहीं न कहीं दलितों के बीच में अखिलेश यादव को मिलते हुए दिख रहा है. बाबासाहेब वाहिनी का गठन कर अखिलेश यादव ने दलितों को जोड़ने के लिए काम कर रहे हैं. अब देखना होगा कि आने वाले समय में बाबासाहेब वाहिनी किस प्रकार से दलितों के बीच काम करती है और समाजवादी पार्टी को कैसे मजबूत करती है.

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