लखनऊ :समाजवादी पार्टी रामचरितमानस को लेकर हुए विवाद से अब दूरी बना ली है. पार्टी आलाकमान ने नेताओं और विधायकों को इस विषय पर नहीं बोलने की हिदायत दी है. इसके साथ ही समाजवादी पार्टी ने जाति जनगणना के मुद्दे को धार देने की प्लानिंग की है. जातीय जनगणना के समर्थन में सपा ने रणनीति बनाई है. इस मुद्दे से जनता को जोड़ने के पार्टी के नेता अभियान चलाएंगे.
पिछले दिनों समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरित मानस को लेकर बयान दिया था. उनके बयान के बाद संत समाज समेत बीजेपी के तेवर कड़े हो गए. सपा के कई नेताओं ने भी स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान पर नाराजगी जताई गई थी. सपा के रणनीतिकारों ने शिवपाल सिंह यादव और अखिलेश यादव को बताया कि अगर समाजवादी पार्टी अगर इस मुद्दे से पीछे नहीं हटती है तो उन्हें बड़ा सियासी नुकसान हो सकता था. इसी वजह से समाजवादी पार्टी ने रामचरित मानस की विवाद को पीछे छोड़ते हुए जाति जनगणना के मुद्दे को धार देने का फैसला किया.
विधानसभा के बजट सत्र से पहले समाजवादी पार्टी की विधायक दल की बैठक में शिवपाल सिंह यादव ने अपनी रणनीति का खुलासा किया. बैठक की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने पार्टी विधायकों को रामचरित मानस पर किसी तरह का बयान नहीं देने की हिदायत दी. उन्होंने नेताओं को रामचरित मानस के विषय पर मीडिया डिबेट में हिस्सा नहीं लेने के निर्देश भी दिए. इस मीटिंग में तय किया गया कि अब समाजवादी पार्टी जाति जनगणना के मुद्दे को पूरी ताकत के साथ उठाएगी. योगी सरकार पर दबाव बनाने के लिए सपा इस मुद्दे को लेकर जनता के बीच जाएगी और सदन में भी उठाएगी. इसके पक्ष में दलील देते हुए शिवपाल सिंह यादव ने बताया कि समाज के सभी वर्ग के लोगों को उचित प्रतिनिधित्व देने के लिए जाति जनगणना कराई जाना बहुत जरूरी है. अभी तक सभी जातियों की गणना ठीक से न हो पाने की वजह से उन्हें इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है.