लखनऊ: राजधानी में सोमवार को संतों ने रक्षाबंधन का त्योहार मनाया. इस अवसर पर गुरु बहनों ने अपने गुरु भाइयों को राखी बांधी. महंत पूजा पुरी महाराज ने बताया कि हमें अपने गुरु भाइयों को रक्षा सूत्र बांधकर बहुत अच्छा लग रहा है.
संतों ने मनाया रक्षा बंधन का त्योहार. महंत पूजा पुरी महाराज ने बताया कि हमें अपने गुरु भाइयों को रक्षा सूत्र बांधकर बहुत अच्छा लग रहा है. संत समाज में यह परंपरा लंबे समय से चली आ रही है. महंत रवि पूरी ने बताया कि हमारे संत समाज में जो भी संत आता है. वह अपना गृहस्थ जीवन छोड़ कर आता है. उन्होंने कहा कि संत समाज में गुरु बहनें और गुरु भाई भी होते हैं, जिससे किसी तरह की कोई कमी महसूस नहीं होती है. संत समाज हमारा घर होता है.
रक्षा बंधन से जुड़ी मान्यता
पुरानी मान्यताओं के अनुसार एक बार असुरों और देवताओं में युद्ध चल रहा था. असुरी शक्ति मजबूत थी. असुरों का युद्ध जीतना तय माना जा रहा था. इंद्र की पत्नी इंद्राणी को अपने पति और देवों के राजा इंद्र की चिंता होने लगी. उन्होंने पूजा पाठ कर अभिमंत्रित रक्षा सूत्र बनाया. रक्षा सूत्र को इंद्र की कलाई पर बांध दिया, जिससे देवता युद्ध जीत गए. उसी दिन से सावन की पूर्णिमा को रक्षा बंधन का त्योहार मनाया जाने लगा. ये त्योहार भाई-बहन के पवित्र रिश्ते में बदल गया है.
रक्षा बंधन को लेकर इसी तरह की ऐतिहासिक राजाओं से संबंधित एक कहानी है. चित्तौड़ की महारानी कर्णावती ने गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह के आक्रमण से अपने राज्य को बचाने के लिए सम्राट हुमायूं को राखी भेजी थी और उनसे रक्षा की गुहार लगाई थी. इसके बाद वह अपने सैनिकों के साथ उनकी रक्षा के लिए चित्तौड़ की ओर रवाना हो गए. हालांकि हुमायूं के चित्तौड़ पहुंचने से पहले ही रानी कर्णावती ने आत्महत्या कर ली थी.