लखनऊ. ग्राम्य विकास विभाग (Rural Development Department) के अंतर्गत होने वाले मनरेगा के कामकाज में पारदर्शिता और पूरी ऑनलाइन मॉनिटरिंग के लिए नई व्यवस्था शुरू कराई गई है. ग्राम्य विकास विभाग के कमिश्नर जीएस प्रियदर्शी ने बुधवार को बताया कि विभाग के कामकाज की निगरानी और पूरी तरह से व्यवस्थित काम करने के लिए एक नई व्यवस्था शुरू कराते हुए मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम तैयार किया गया है.
मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम से मनरेगा के कामकाज में पारदर्शिता लाने की रणनीति, शुरू की नई व्यवस्था - mobile monitoring system
ग्राम्य विकास विभाग (Rural Development Department) के अंतर्गत होने वाले मनरेगा के कामकाज में पारदर्शिता और पूरी ऑनलाइन मॉनिटरिंग के लिए नई व्यवस्था शुरू कराई गई है. ग्राम्य विकास आयुक्त जीएस प्रियदर्शी ने कहा कि मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम (mobile monitoring system) के अंतर्गत सभी ग्राम पंचायतों में बनाए गए व्हाट्सएप ग्रुपों में स्थानीय जनप्रतिनिधियों को भी जोड़ने के निर्देश विभागीय अधिकारियों को दिए गए हैं.
इसके अंतर्गत प्रदेश की सभी 58 हजार ग्राम पंचायतों में व्हाट्सएप समूह बनाए गए हैं. इससे मनरेगा के अंतर्गत होने वाले सभी कच्चे काम और श्रमिकों के डाटा को ऑनलाइन प्रदर्शित करने का काम किया जाएगा. ग्राम्य विकास आयुक्त जीएस प्रियदर्शी ने कहा कि इस नई व्यवस्था से मनरेगा में पारदर्शिता आएगी तो श्रमिकों को पूरी तरह से लाभ होगा. मस्टर रोल की भी ऑनलाइन मॉनिटरिंग की जाएगी. इससे निचले स्तर पर कभी कभार जो शिकायतें आती थीं कि श्रमिकों के भुगतान आदि में मनमानी की जा रही है उस पर पूरी तरह से अंकुश लग सकेगा. इसके साथ ही मनरेगा के अंतर्गत होने वाले सभी कार्यों के स्थान जहां पर 20 या उससे अधिक श्रमिक लगाए जाते हैं उनकी उपस्थिति भी ऑनलाइन मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम (mobile monitoring system) से की जाएगी. ऐसे कार्यस्थल पर लगने वाले मजदूरों की उपस्थिति में और अधिक पारदर्शिता लाई जा सकेगी. कमिश्नर ग्राम्य विकास ने कहा कि व्हाट्सएप ग्रुप पर निगरानी करने सहित अन्य उपस्थिति चेक करने के काम करने के सख्त निर्देश सभी अधिकारियों को दिए गए हैं.
ग्राम्य विकास आयुक्त जीएस प्रियदर्शी ने कहा कि मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम (mobile monitoring system) के अंतर्गत सभी ग्राम पंचायतों में बनाए गए व्हाट्सएप ग्रुपों में स्थानीय जनप्रतिनिधियों को भी जोड़ने के निर्देश विभागीय अधिकारियों को दिए गए हैं. जिससे कहीं कोई गड़बड़ी आए तो जनप्रतिनिधियों के माध्यम से उच्चाधिकारियों के संज्ञान में मामले आ सकेंगे. इसको लेकर ग्राम पंचायतों में बनाए गए व्हाट्सएप ग्रुप में सांसद व उनके प्रतिनिधि, विधायक व उनके प्रतिनिधि, अध्यक्ष जिला पंचायत व उनके प्रतिनिधि, ब्लाॅक प्रमुख व उनके प्रतिनिधि को विशेष रूप से जोड़ना है. इसके अलावा ग्राम्य विकास विभाग के स्थानीय अफसरों के साथ-साथ मुख्य विकास अधिकारी भी इनमें शामिल किए जाएंगे.
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