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RTO Lucknow News : दो कंपनियों की आपसी रार में पिस रहे लखनऊ के वाहन स्वामी, जानिए क्या है पेंच

लखनऊ आरटीओ कार्यालय के इंस्पेक्शन एंड सर्टिफिकेशन सेंटर पर वाहनों स्वामियों को फजीहत झेलनी पड़ रही है. इसका कारण दो फिटनेस कंपनियों की आपसी रार है. ऐसे में वाहन मालिकों को मेंटेनेंस के लिए चक्कर लगाने पड़ रहे हैं.

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Published : Mar 23, 2023, 8:36 PM IST

दो कंपनियों की आपसी रार में पिस रहे वाहन स्वामी, जानिए क्या है पेंच .

लखनऊ :ट्रांसपोर्ट नगर स्थित आरटीओ कार्यालय के इंस्पेक्शन एंड सर्टिफिकेशन सेंटर पर वाहनों की फिटनेस होती है, लेकिन इन दिनों वाहन स्वामियों को अपने वाहन की फिटनेस हासिल करने में बड़े पापड़ बेलने पड़ रहे हैं. इसकी वजह है दो कंपनियों की आपसी रार. पहले जिस कंपनी के पास फिटनेस का टेंडर था. इस बार उसे टेंडर हासिल नहीं हुआ, लेकिन मेंटेनेंस का काम उसी कंपनी के पास रहा, जबकि जिस कंपनी ने टेंडर हथियाया उसे अब मेंटेनेंस के चक्कर में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. परिवहन अधिकारी वाहन स्वामियों की दिक्कत दूर करने के बजाए सिर्फ तसल्ली दे रहे हैं.

दो कंपनियों की आपसी रार में पिस रहे वाहन स्वामी, जानिए क्या है पेंच .


फिटनेस सेंटर पर प्रतिदिन 200 छोटे-बड़े वाहनों का टाइम स्लॉट है. इन वाहनों को विभिन्न परीक्षणों से गुजरने के बाद पास होने पर फिटनेस प्रमाण पत्र हासिल होता है. अगर वाहन में किसी तरह की कोई तकनीकी दिक्कत है तो मशीन अनफिट घोषित कर देती है, लेकिन वाहन स्वामियों को फिटनेस में पास या फेल करने वाली मशीनें इन दिनों खुद ही अनफिट हो गई हैं. कारण है कि पहले जिस कंपनी के पास वाहनों की फिटनेस से लेकर मेंटेनेंस तक का पूरा काम था वह अपनी मशीनों की कमियों को तत्काल दुरुस्त कर लेती थी. अब जिस कंपनी के पास टेंडर है उसके पास मेंटेनेंस का ठेका नहीं है सिर्फ निरीक्षण का हीं कार्य है. ऐसे में अगर मशीन में किसी तरह की जरा सी समस्या होती है तो सारा काम चौपट हो जाता है. मशीनों की समस्या दूर करने में कई दिन लग जाते हैं. इसके चलते वाहन स्वामियों को चक्कर लगाने पड़ते हैं. इससे उनके समय के साथ ही पैसे की बर्बादी होती है. वाहन स्वामियों की दिक्कतों में और भी ज्यादा इजाफा हो गया है. इन दिनों आधे से भी कम वाहनों के फिटनेस हो पा रही है.

दो कंपनियों की आपसी रार में पिस रहे वाहन स्वामी, जानिए क्या है पेंच .


ये है आपसी विवाद का कारण : मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवेज की तरफ से आईएनसी सेंटर चलाने को पहले दो साल के लिए रोजमार्टा कंपनी को टेंडर दिया गया था. बाद में दो बार छह छह माह के लिए टेंडर की अवधि बढ़ाई गई. कुल तीन साल तक कंपनी ने वाहनों की फिटनेस की. इसके अलावा इसी कंपनी को पांच साल तक मशीनों के मेंटेनेंस और सॉफ्टवेयर का ठेका दिया गया था. अब तीन साल पूरा होने के बाद रोजमार्टा कंपनी को दूसरी बार फिटनेस का टेंडर नहीं मिला. श्री हरि फिलिंग स्टेशन नाम की फर्म को इस बार वाहनों के परीक्षण का टेंडर हासिल हुआ, लेकिन वाहनों के मेंटेनेंस का अभी भी दो साल तक ठेका रोजमार्टा कंपनी के पास ही है. ऐसे में जब परीक्षण का ठेका छिन गया तो ये कंपनी मशीनों में तकनीकी गड़बड़ी होने के बाद नई कंपनी को सहयोग नहीं कर रही है. इसका खामियाजा सीधे तौर पर वाहन स्वामियों को भुगतना पड़ रहा है. उनके वाहनों के फिटनेस में तमाम दिक्कतें आ रही हैं. कभी किसी लेन की मशीन में तकनीकी खराबी आ जाती है तो फिटनेस नहीं हो पाती है तो कभी किसी तरह की और तकनीकी समस्या के चलते वाहन स्वामी पिस रहे हैं.

दो कंपनियों की आपसी रार में पिस रहे वाहन स्वामी, जानिए क्या है पेंच .


वाहन स्वामियों ने लगाए गंभीर आरोप : अपने वाहनों को फेल होने के बाद दोबारा फिटनेस कराने फिटनेस सेंटर पहुंचे वाहन स्वामियों ने अपना दर्द बयां किया. साथ ही फिटनेस करने वाली कंपनी पर भी गंभीर आरोप लगाए. कहा कि बिना पैसे के कोई काम होता ही नहीं है. बेवजह ही वाहनों को फेल कर दिया जाता है. जब दूसरी बार लाओ, पैसे दो तो वाहन पास हो जाता है. एक वाहन स्वामी ने आरोप लगाया कि खेल कुछ इस तरह का भी हो रहा है कि जो प्रिंट दिया जा रहा है उसमें वाहन पास दिखाई देता है, लेकिन जो मैसेज आ रहा है वह फेल का. पता ही नहीं चलता है कि वाहन पास हुआ है या फेल. वाहन स्वामियों का यह भी आरोप है कि पहले जिस दिन वाहन की फिटनेस होती थी. उसी शाम को पता चल जाता था कि गाड़ी पास हुई है या फेल, लेकिन अब वाहन के पास फेल की रिपोर्ट बताई नहीं जाती. सेटिंग करने के लिए ऐसा किया जाता है.

दो कंपनियों की आपसी रार में पिस रहे वाहन स्वामी, जानिए क्या है पेंच .



क्या कहते हैं सेंटर इंचार्ज : फिटनेस सेंटर के सेंटर इंचार्ज अंकुश राय का कहना है कि फिटनेस में दिक्कतें आ रही हैं इससे इनकार नहीं किया जा सकता, लेकिन अब कुछ दिक्कतें दूर भी हुई हैं. अब भी मेंटेनेंस का काम पुरानी कंपनी के पास ही है. ऐसे में कोई तकनीकी खराबी होती है तो वाहन स्वामियों की दिक्कतें बढ़ जाती हैं. इसकी वजह है कि दिक्कत होने पर पहले उस कंपनी को मेल किया जाता है फिर उनके प्रतिनिधियों को इसकी जानकारी होती है. उसके बाद कहीं जाकर दूसरे दिन तकनीकी खराबी दूर करने के लिए वहां से किसी को भेजा जाता है. ऐसे में उस दिन वाहन की फिटनेस ही नहीं हो पाती है. सेंटर इंचार्ज का कहना है कि हमने तो पुरानी कंपनी से यह भी अनुरोध किया है कि अपने किसी एक इंजीनियर को यहां पर तैनात कर दें उसका वेतन भी हमारी कंपनी ही वहन कर लेगी. इससे वाहन स्वामियों की समस्या दूर हो जाएगी.

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लखनऊ के आरटीओ आरपी द्विवेदी का कहना है कि इसकी जानकारी कंपनी की तरफ से दी गई है. इसके बाद इस समस्या से मुख्यालय को अवगत करा दिया गया है. जल्द ही फिटनेस में आने वाली समस्याओं को दूर किया जाएगा. जिससे वाहन स्वामियों को किसी तरह की कोई परेशानी न होने पाए. अभी कंपनी नई है तो थोड़ा काम समझने में भी समय लग रहा है. धीरे-धीरे सब सही हो जाएगा. मेंटेनेंस का काम पहले वाली ही कंपनी के पास है तो थोड़ी दिक्कत जरूर आ रही हैं.

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