लखनऊ/मेरठ : इंफ्रास्ट्रक्चर संपत्तियों के मुद्रीकरण की दिशा में उत्तर प्रदेश सरकार तेजी से अपने कदम बढ़ा रही है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की उपस्थिति में शनिवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में “गंगा एक्सप्रेस-वे परियोजना” के क्रियान्वयन को लेकर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस दौरान प्रतिभूतिकरण के आधार पर पंजाब नेशनल बैंक से 5100 करोड़ की रुपये का ऋण स्वीकृत होने की जानकारी दी गई.
राज्य सरकार द्वारा पिछले चार वर्षों में चहुंमुखी औद्योगिक विकास के लिए इसमें अनेकों नए आयाम जोडे़ गए हैं. राज्य में कोविड-19 महामारी के चलते हुए औद्योगिक निवेश को बढ़ावा दिए जाने के साथ-साथ समस्त उत्तर प्रदेश क्षेत्र को राष्ट्रीय बाज़ारों से त्वरित कनेक्टिविटी देने के लिए एक्सप्रेस-वे का नेटवर्क विकसित किया जा रहा है.
इसके अंतर्गत पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का निर्माण लगभग पूरा होने की प्रक्रिया में है. साथ ही बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे का 70 प्रतिशत काम पूर्ण हो गया है. गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे के माध्यम से गोरखपुर और बलिया लिंक एक्सप्रेस-वे के माध्यम से बलिया व आसपास के क्षेत्र को पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे से जोड़ा जाएगा. इससे इन क्षेत्रों को तीव्र कनेक्टिविटी प्रदान करने में मदद मिलेगी.
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गंगा एक्सप्रेस-वे परियोजना के निर्माण का कार्य तेजी से चल रहा है. इस एक्सप्रेसवे की लंबाई 594 किमी होगी. यह उत्तर भारत का सबसे लंबा और देश का दूसरा सबसे लंबा एक्सप्रेस-वे होगा. इस एक्सप्रेस-वे के लिए आवश्यक भूमि के लगभग 92 प्रतिशत से अधिक भूमि क्रय किया जा चुका है. इस एक्सप्रेस-वे की लागत लगभग 36 हजार 230 करोड़ आंकी गई है.
राज्य सरकार ने गंगा एक्सप्रेस-वे के लिए वित्तीय संसाधन जुटाने के एक अंश के रूप में बैंकों से प्रतिभूति आधारित ऋण की प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया है. इसके तहत यूपीडा को पंजाब नेशनल बैंक से 5100 करोड़ के ऋण की स्वीकृति मिल गई है.
इसका उपयोग उत्तर प्रदेश शासन नव-निर्माणाधीन गंगा एक्सप्रेस-वे परियोजना के लिए किया जाएगा. इस अवधि में एक्सप्रेस-वे का स्वामित्व और संचालन यूपीडा ही करेगा. इस प्रकार से सार्वजनिक इंफ्रास्ट्रक्चर संपत्तियों के मुद्रीकरण का न सिर्फ प्रदेश में बल्कि समस्त उत्तर भारत में यह प्रथम नवोन्मेषी प्रयास है.
इस संबंध में ऋण-स्वीकृति पत्र के हस्तांतरण के लिए मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में एक उच्च-स्तरीय बैठक हुई. इस मौके पर पंजाब नेशनल बैंक के प्रबंध निदेशक-सह-सीईओ एसएस मल्लिकार्जुन राव ने ऋण-स्वीकृति पत्र का उत्तर प्रदेश शासन को हस्तांतरण किया.