लखनऊ: रमजान के पवित्र माह में उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के ड्राइवर और कंडक्टर सेवा और इबादत के प्रतीक बन गए हैं. यह रोडवेज 'वॉरियर्स' लोगों की सेवा करना ही अपना धर्म और अपनी इबादत मान रहे हैं. यह रोडवेज वॉरियर्स रमजान में रोजा भी रख रहे हैं और पूरी शिद्दत से अपनी ड्यूटी भी निभा रहे हैं. 'नर ही नारायण है' का सेवा भाव हृदय में रखकर आने वाले यात्रियों को उनके घरों तक पहुंचा रहे हैं.
लखनऊ: रमजान में सेवा और इबादत के प्रतीक बन गए हैं ये रोडवेज 'वॉरियर्स'
लॉकडाउन के दौरान श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के जरिए गैर प्रदेशों से लोगों को लाया जा रहा है. उसके बाद इन श्रमिकों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए रोडवेज कर्मियों की ड्यूटी लगाई गई है. वहीं इस दौरान रमजान माह भी चल रहा है. ऐसे में रोजा रख रहे ड्राइवर और कंडक्टर भी लगातार अपनी ड्यूटी कर रहे हैं. ईटीवी भारत ने इन रोडवेज 'वॉरियर्स' से बात कर उनके अनुभव और उनकी समस्याओं को जाना.
इन दिनों रोडवेज कर्मियों की ड्यूटी श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से आने वाले मजदूरों को, उनके घरों तक ले जाने के लिए लगाई गई है. ऐसे में ये रोडवेज 'वॉरियर्स' रोजा रखते हुए भी अपनी ड्यूटी बखूबी निभा रहे हैं.
ईटीवी भारत से रोडवेज कंडक्टर आमिर जावेद ने बताया कि हम लोग रोजा हमेशा से ही रखते हैं और ड्यूटी भी बराबर कर रहे हैं. परिवहन निगम की तरफ से ड्यूटी सौंपी गई है तो रोजा रखकर भी शिद्द्त से अपना काम कर रहे हैं. आमिर जावेद ने बताया कि जो श्रमिक स्पेशल ट्रेन इस समय बाहर से आ रही हैं उनसे आने वाले यात्रियों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए हम लोगों की ड्यूटी लगाई गई है. हम सभी लोगों को बस से उनके घरों तक ले जा रहे हैं.
वहीं तालिब ने बताया कि 'नर सेवा ही नारायण सेवा' होती है. इसी उद्देश्य से हम अपने कार्य कर रहे हैं. हम रमजान के समय लॉकडाउन के चलते इस समय इबादत नहीं कर पा रहे हैं, लेकिन यह भी एक इबादत ही है. लोगों की मजबूरियों को देखते हुए हम अपनी मेहनत और लगन से उनके जीवन के लिए और उनके परिवार के लिए कुछ कर रहे हैं.
रोजे के दौरान इफ्तारी के बारे में पूछने पर रोडवेज 'वॉरियर्स' जमाल ने बताया कि रोजा इफ्तारी के लिए हम अपने पास कुछ अरेंजमेंट लेकर चलते हैं. जहां पर समय हो जाता है वहां पर चलती गाड़ी में ही रोजा खोल लिया जाता है. इसकी व्यवस्था हम अपने पास रखते हैं. साफ-सफाई देखकर नमाज भी पढ़ लेते हैं.
इस दौरान होने वाली समस्याओं को लेकर असगर ने बताया कि इन दिनों दिक्कत तो बहुत हो रही है. अपनी सुरक्षा को लेकर इन लोगों ने बताया कि इन मजदूरों को छोड़ने के बाद, हम नहाते हैं. खुद की सफाई करके तब घर के अंदर जाते हैं. उसके बाद रोजा खोलते हैं. वहीं घर वाले भी इस समय डरे हुए हैं.
पुलिसकर्मियों, स्वास्थ्यकर्मियों, सफाईकर्मियों के साथ ही अगर रोडवेज के इन 'वॉरियर्स' को भी कोरोना वॉरियर्स कहा जाए तो कुछ भी गलत नहीं होगा. क्योंकि पूरी शिद्दत से यह रमजान में भी अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं और घर से हजारों कोस दूर से आए मजबूर लोगों को अपनी जान-जोखिम में डालकर उनके घर वालों के पास पहुंचा रहे हैं.