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रफ्तार का रोमांच, लोगों की ले रहा जान

पूरे देश में सड़कों का नेटवर्क तेजी से बढ़ रहा है. उत्तर प्रदेश में भी सड़कों का जाल काफी तेजी से फैल रहा है और इन जालों में फंसकर हजारों जिंदगियां अपना दम तोड़ रही हैं. आंकड़े बताते हैं कि हादसों का ग्राफ साल दर साल लगातार बढ़ता ही जा रहा है, जो एक गंभीर चिंता का विषय है. आगे एक नजर में देखिए इसके आंकड़े.

कॉन्सेप्ट इमेज.
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Published : Nov 20, 2020, 10:41 PM IST

Updated : Nov 21, 2020, 11:06 PM IST

लखनऊ: प्रदेश में सड़कों का नेटवर्क बढ़ रहा है. इसके साथ ही इन सड़कों पर हादसों की रफ्तार भी बढ़ रही है. उत्तर प्रदेश में 360000 किलोमीटर से भी अधिक सड़कों का नेटवर्क है. इतनी लंबी सड़कों पर हो रहे हादसों की संख्या को कम करना सरकार के लिए चुनौती बन चुका है. अकेले 2020 में ही प्रदेश में 23,218 सड़क हादसे हुए हैं. इनमें 13,232 मौतें हुई हैं. मौतों के ये आंकड़े तब हैं, जब 2 महीनों तक लॉकडाउन रहा.

सड़क हादसों पर देखें ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट.

लॉकडाउन में सड़कों पर यातायात लगभग बंद ही रहा. सड़कों पर बेतहाशा स्पीड और लापरवाही हादसों का कारण बन रहा है. प्रतापगढ़ के कुंडा इलाके में बीते 19 नवंबर की रात बारात से लौट रहे 14 व्यक्तियों की मौत भी लापरवाही और अत्यधिक गति के कारण से ही हुई. एक गाड़ी में क्षमता से दोगुने लोग कैसे यात्रा कर रहे हैं और ऐसे हादसों पर लगाम लगाने के लिए पुलिस और यातायात विभाग आखिर क्या कर रहा है.

सड़क हादसों के आंकड़े.

ओवरस्पीड से बढ़ रहे हादसे
देश ही नहीं उत्तर प्रदेश में भी आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे हो या यमुना एक्सप्रेस-वे तेज गति से गाड़ियां दौड़ती हैं. इन एक्सप्रेस-वे पर गाड़ियों की औसतन रफ्तार 100 से ज्यादा होती है. कुछ गाड़ियां तो निर्धारित सीमा को भी पार कर जाती हैं. इसके कारण सर्दियों के मौसम में सबसे ज्यादा हादसे होते हैं. हर साल सड़कों पर होने वाले हादसों में से 59.6 फीसदी हादसे ओवरस्पीड के चक्कर में होते हैं.

सड़क हादसों के आंकड़े.

2020 प्रदेश में हुए बड़े हादसे

  • 24 मार्च से लेकर 31 मई तक पूरे देश में लॉकडाउन था. इस दौरान सड़कों पर न के बराबर यातायात रहा. लेकिन, प्रवासी मजदूरों का आवागमन जारी था. 16 मई को औरैया में एक बड़ा हादसा हुआ. इसमें डीसीएम और राजस्थान से मजदूरों को लेकर आ रहे एक ट्रक में टक्कर हो गई. इस हादसे में 24 मजदूरों की मौत हुई और 35 लोग घायल हुए थे.
    सड़क हादसों के आंकड़े.
  • 13 मई को लॉकडाउन के दौरान ही मुजफ्फरनगर में रोडवेज बस ने छह मजदूरों को कुचल दिया. यह हादसा भी सुर्खियों में रहा, क्योंकि यह मजदूर प्रवासी थे.
  • पिछले महीने 17 अक्टूबर को पीलीभीत के पूरनपुर के पास में रोडवेज बस और बोलेरो की टक्कर हुई. इस हादसे में भी 7 लोगों की मौत हो गई थी और 32 लोग घायल हुए थे.
    सड़क हादसों के आंकड़े.
  • इसी महीने 2 नवंबर को बहराइच गोंडा राजमार्ग पर भी एक बड़ा सड़क हादसा हुआ था. इस हादसे में 6 लोगों की मौत हुई थी. यह हादसा की यातायात प्रबंधन की खामियों के चलते हुआ था.
  • 19 नवंबर को प्रतापगढ़ के कुंडा के पास में बारातियों को लेकर लौट रही एक बोलेरो खड़े ट्रक में पीछे से जा घुसी. बोलेरो की रफ्तार काफी तेज थी. इसके कारण हादसे में 14 लोगों की मौत हो गई. इस हादसे में 8 पुरुष और 6 बच्चे मारे गए.
    सड़क हादसों के आंकड़े.

पूरे देश में हर साल डेढ़ लाख से ज्यादा लोगों की मौत सड़क हादसों में होती है. उत्तर प्रदेश में भी हादसों में हर साल 20,000 से ज्यादा मौतें होती हैं. आए दिन हो रहे हादसों को रोकने के लिए यातायात विभाग के साथ-साथ परिवहन विभाग प्रयास करता है, लेकिन ओवर स्पीडिंग, ओवरलोडिंग और गलत तरीके से वाहनों के संचालन से हादसों की संख्या बढ़ रही है.

Last Updated : Nov 21, 2020, 11:06 PM IST

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