लखनऊ : मुजफ्फरनगर की खतौली विधानसभा सीट (Khatauli assembly seat of Muzaffarnagar) कभी राष्ट्रीय लोकदल का गढ़ रही थी, लेकिन 2017 और 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में रालोद को जोरदार झटके लगे. भारतीय जनता पार्टी ने अपने खाते में डाल ली. अब खतौली सीट वापस कब्जे में लेने के लिए राष्ट्रीय लोक दल फिर से ताकत लगाए हुए है. इस बार के उपचुनाव में समाजवादी पार्टी और रालोद गठबंधन में रालोद के हिस्से में यह सीट आई है. पार्टी जल्द ही सीट पर अपना प्रत्याशी घोषित करेगी. हालांकि पार्टी के सूत्रों की मानें तो 2022 में इस सीट पर चुनाव लड़े प्रत्याशी को बदला जा सकता है.
ये है खतौली का इतिहास :साल 1985 में लोकदल के टिकट पर हरेंद्र मलिक ने खतौली विधानसभा सीट पर ताल ठोंकी और चुनाव जीतकर यह सीट राष्ट्रीय लोक दल की झोली में डाल दी. इसके बाद साल 1996 में चौधरी अजीत सिंह और किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत एक साथ आए और भारतीय किसान कामगार पार्टी का गठन कर राजपाल बालियान को टिकट दिया. उन्होंने भी यह सीट जीत ली. 2002 में भी रालोद के टिकट पर राज्यपाल बालियान ने दूसरी बार जीत दर्ज कर इस सीट पर राष्ट्रीय लोक दल का कब्जा बरकरार रखा. 2007 में बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर योगराज सिंह ने ताल ठोंकी और रालोद के हाथ से यह सीट फिसल गई, लेकिन 2012 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर राष्ट्रीय लोक दल ने सभी विरोधियों को चित करते हुए यह सीट वापस खाते में डाल दी. करतार सिंह भड़ाना ने यहां पर राष्ट्रीय लोक दल को जीत दिलाई.
आरएलडी के अरमानों पर फिरा पानी :इसके बाद 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अति पिछड़े चेहरे के रूप में विक्रम सैनी पर दांव लगाया और जीत दर्ज की. राष्ट्रीय लोकदल के अरमानों पर पानी फिर गया. 2022 में समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल का गठबंधन हुआ तो फिर से राष्ट्रीय लोकदल को उम्मीद थी कि यह सीट वापस राष्ट्रीय लोक दल के हिस्से में जरूर आ जाएगी, लेकिन भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी विक्रम सैनी ने दोबारा इस सीट पर कमल खिला दिया और रालोद नेताओं के सपनों को चकनाचूर कर दिया.