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लखनऊ: रालोद ने केंद्र सरकार की निजीकरण नीति पर जताई चिंता - central government policy

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में शनिवार को राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल दुबे ने केंद्र सरकार की निजीकरण नीति पर चिंता जताई. प्रवक्ता अनिल दुबे ने कहा कि धीरे-धीरे देश और प्रदेश की सभी परिवहन व्यवस्था पूंजीपतियों के हाथों में जा रही है.

रालोद के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल दुबे
रालोद के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल दुबे

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Published : Jul 5, 2020, 12:39 AM IST

लखनऊ:राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल दुबे ने केंद्र सरकार की निजीकरण नीति पर हमला करते हुए कहा कि सरकारी संसाधनों को कॉरपोरेट घरानों के हवाले करना, देश के युवा बेरोजगारों के साथ-साथ आने वाली पीढ़ी के लिए धोखा है.

उन्होंने कहा कि युवाओं को नौकरी के लिए रेलवे भारत सरकार का सबसे बड़ा उपक्रम है. जहां प्रतिवर्ष लाखों लोग सेवानिवृत्त होते हैं और लाखों युवाओं को नौकरी मिलती है. केंद्र सरकार अब दोबारा 109 रूटों पर कॉरपोरेट घरानों की निजी ट्रेनों को संचालित करने जा रही है. जबकि पूर्व में ही तेजस ट्रेन व सैकड़ों स्टेशन पूंजीपतियों के अधीन कर चुकी है. यह भी सम्भव है कि निकट भविष्य में रेलवे कारखानों में भी देश के कॉरपोरेट घरानों की भागीदारी तय कर दी जाएगी.

रालोद के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल दुबे ने कहा कि रेलवे ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय राजमार्गों पर भी परिवहन व्यवस्था का निजीकरण होने जा रहा है. राजधानी लखनऊ का चौधरी चरण सिंह अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट सहित कई एयरपोर्ट कॉरपोरेट घरानों के साथ अनुबन्धित किए जा चुके हैं. इस प्रकार धीरे-धीरे देश और प्रदेश की सभी परिवहन व्यवस्था पूंजीपतियों के हाथों में जा रही है.

रालोद प्रवक्ता ने कहा कि प्रति वर्ष दो करोड़ नौकरियों का वादा करके सत्ता में आने वाले लोगों ने देश और देश के करोड़ों युवाओं के साथ धोखा किया है. केंद्र सरकार का रेल मंत्रालय व राज्यों के परिवहन मंत्रालयों में युवाओं के लिए नौकरी की बहुत सम्भावनाएं रहती हैं और ये डबल इंजन की सरकारें इन्हीं संसाधनों को कॉरपोरेट घरानों के हवाले कर रही हैं. उन्होंने देश के युवाओं से आह्वान करते हुए कहा कि आने वाले सभी चुनावों में ऐसी जन विरोधी सरकार को सत्ता से बाहर करने का संकल्प लें. इस जन विरोधी नीति को जन आन्दोलन से जवाब दें.

भारतीय रेलवे तेजस की तरह ही 108 रूटों पर प्राइवेट ट्रेनों को संचालित करने की योजना लगभग तैयार कर चुका है. अब योजना को लागू करना रह गया है. ऐसे में भारतीय रेलवे में नौकरी करने वाले लोगों को सरकार के निजीकरण की नीति से दिक्कत हो रही है.

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