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ETV Bharat EXCLUSIVE: राज्यसभा नामांकन के बाद जयंत चौधरी का पहला इंटरव्यू

राज्यसभा के लिए नामांकन करने के बाद राष्ट्रीय लोकदल के मुखिया जयंत चौधरी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. गन्ना किसानों से लेकर सपा के साथ गठबंधन तक तमाम मसलों पर उन्होंने अपनी बात रखी. मंदिर-मस्जिद मामले पर नाराजगी जताते हुए उन्होंने कहा कि सरकार को विधानसभा की भी खुदाई करानी चाहिए, शायद वहां भी कुछ मिल जाए.ईटीवी भारत उत्तर प्रदेश के संवाददाता अखिलेश्वर पांडेय ने जयंत चौधरी से खास बातचीत की.

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राष्ट्रीय लोकदल के मुखिया जयंत चौधरी

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Published : May 30, 2022, 4:49 PM IST

Updated : May 30, 2022, 5:24 PM IST

लखनऊ: राज्यसभा के लिए नामांकन करने के बाद पार्टी मुख्यालय पहुंचे राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी ने ईटीवी भारत को पहला इंटरव्यू दिया. इस दौरान उन्होंने सपा से राज्यसभा प्रत्याशी बनाए जाने पर सपा मुखिया अखिलेश यादव को धन्यवाद देने के साथ तमाम सवालों के जवाब दिए. उत्तर प्रदेश के बाद अन्य राज्यों में विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी के बारे में बात की. इसके साथ ही मंदिर-मस्जिद विवाद पर उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने नाराजगी जताते हुए कहा कि इन सब गतिविधियों पर रोक लगनी चाहिए. सरकार को विधानसभा की भी खुदाई करा लेनी चाहिए, हो सकता है उसके नीचे भी कुछ मिल जाए.

सवाल: आप राज्यसभा जा रहे हैं, कैसा लग रहा है और क्या कहेंगे?

जवाब: पसीना अभी से बहा रहे हैं. कार्यकर्ताओं ने बहुत मेहनत की है. सभी घटक दलों को मैं धन्यवाद देता हूं. खासतौर पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को. अब राज्यसभा जाकर यूपी के विकास की संभावना को पूरा करेंगे.

ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए राष्ट्रीय लोकदल के मुखिया जयंत चौधरी
आपके राज्यसभा पहुंचने पर किसानों की आवाज कितनी बुलंद होगी, क्या कहेंगे?

जवाब: सबसे बड़ा मुद्दा किसानों से जुड़ा मुद्दा है. एग्रीकल्चर उसमें सबसे अहम है. इसमें कैसे रिफॉर्म ला सकते हैं. सरकार ने वादा किया था कि किसानों की आय 2022 तक दोगुनी करेंगे. 2022 तो आ गया, लेकिन आय दोगुनी नहीं हुई. किसानों को बाजिव मूल्य नहीं मिला. जब-जब लगता है किसान को अच्छा मूल्य मिल सकता है, सरकार तुरंत बंदिश लगा देती है. चीनी के निर्यात पर रोक लगा दी. गेहूं के आयात पर रोक लगा दी.

सवाल: योगी सरकार का कहना है कि चीनी मिलें अखिलेश सरकार के कार्यकाल में बंद हुईं हमने चालू कराईं, क्या कहना है?

जवाब: योगी सरकार ने यह महारत हासिल की है कि दूसरों की उपलब्धियां भी वो अपनी गिना देते हैं. कहते हैं कि उन्होंने रिकॉर्ड गन्ने का भुगतान किया. उसका यह नतीजा क्यों हुआ? किसानों ने गन्ने की नई वैरायटी का प्रयोग किया और अपने उत्पाद को बढ़ाया. मिलों ने भी आधुनिकीकरण किया, जिससे 30 परसेंट 40 पर्सेंट बढ़ोतरी हासिल हुई. जब मल्टीप्लाई करेंगे तो ऑटोमेटिक भुगतान बढ़ जाएगा. सरकार से पूछना चाहिए इतना बकाया क्यों रह जाता है? कभी आठ हजार करोड़, कभी 13 हजार करोड़ हर साल बढ़ता जाता है. यह सरकार की विफलता है. 14 दिन के कानूनी प्रावधान को भी आप लागू नहीं कर पाए.

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सवाल: यूपी के बाद अब अन्य राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, पार्टी की क्या तैयारी है? गठबंधन के साथ लड़ेंगे या फिर अकेले?

जवाब: राजनीति संभावनाओं का खेल होता है. राजस्थान में हमारा एक प्रतिनिधि है. हमारी कोशिश जारी है. अभी हमने उत्तर प्रदेश के अपने सीनियर लीडर्स को वहां प्रभार दिया है. राजस्थान को हमने भौगोलिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक आधार पर छह हिस्सों में बांटा है. उत्तर प्रदेश और राजस्थान के लोग मिलकर साथ में काम करेंगे. वहां पर सबसे बड़ी जल की समस्या है. इसके लिए जल अधिकार अभियान के नाम से विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर जयपुर में एक कार्यक्रम हम लांच कर रहे हैं. राजस्थान पर आरएलडी का फोकस है.

हमारी कोशिश है कि सभी विपक्षी दल एक साथ मिलकर कुछ अच्छा करें. कल ही दिल्ली में साझा दलों की एक बड़ी बैठक हुई है. सभी के साथ आने से मंच बड़ा हो जाता है और जब सीटों के बंटवारे की बात करते हैं तो हम सिमटते जाते हैं. कल हमने मुद्दों की बात की. त्रिपुरा, असम, वेस्ट बंगाल और बिहार से तमाम पार्टियों के प्रतिनिधि कल दिल्ली पहुंचे. सामाजिक न्याय को लेकर डॉ. भीमराव अंबेडकर के बाद चौधरी चरण सिंह का नाम गिना जाता है. उनका बड़ा योगदान है. कल उन्हीं की पुण्यतिथि पर हमने संकल्प लिया है कि जिसका हक मारा जाएगा हम उसके साथ हैं.

सवाल: मंदिर मस्जिद विवाद पर आपका क्या कहना है?

जवाब: मंदिर मस्जिद पर पिछले कई सालों से विवाद चल रहा है. सवाल यह है कि हर इमारत के नीचे हम खोदना चाहते हैं. तो विधानसभा के नीचे भी खुदाई की जाए तो शायद कुछ मिल जाए. अब कहीं न कहीं जनता को लकीर खींचनी पड़ेगी. बहुत हो गया, हम सब ऊब चुके हैं. आगे की ओर देखो हम विश्व में कहां खड़े हैं और किस पायदान पर हैं? मानव विकास के किस सूचकांक में, प्रेस फ्रीडम में, देश के भीतर विकास कार्यों में हम लगातार पिछड़ रहे हैं. मानवाधिकार के विषय पर लगातार अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां हमें ललकार रही हैं. सरकार से सवाल पूछ रही हैं कि हमारा परफॉर्मेंस क्यों गिर रहा है. हम लोग यहां ध्यान ही नहीं दे रहे हैं. विकास तो विज्ञान से होगा, नई- नई विधियों से होगा, तौर-तरीकों से होगा. रिफॉर्म्स को लागू करना पड़ेगा. हम इसी बहस में उलझे रहेंगे तो भविष्य अंधकारमय होगा.

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Last Updated : May 30, 2022, 5:24 PM IST

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